जॉब में भी बैडलक, इंजीनीयर नहीं बनने के बाद आया आइडिया, आज हैं इस पिज्जा कंपनी के मालिक

नई दिल्‍ली (New Delhi) । हाल ही में फेमस टीवी रियल‍िटी शो ‘शार्क टैंक’ (TV reality show Shark Tank) में नजर आ चुके 32 साल के संदीप जांगड़ा (Sandeep Jangra) की कंपनी ‘पिज्जा गैलेरिया’ (Pizza Galleria), देश के कई शहरों में डॉमिनोज जैसे ब्रांड से भी आगे हैं. 2015 में शुरू की गई उनकी कंपनी की नेटवर्थ आज 50 करोड़ रुपये है. लेक‍िन इस पिज्जा कंपनी के मालिक संदीप के ल‍िए यहां तक का सफर इतना आसान नहीं रहा.

हरियाणा के छोटे से शहर गोहाना के काठमंडी के एक आम लड़के ने कुछ बड़ा करने का सपना देखा था. संदीप की मानें तो गोहाना से ही स्कूलिंग पूरी करने के बाद साल 2009 में पिता ने उन्हें बीटेक में दाखिला दिला दिया. एडमिशन तो हो गया, लेक‍िन बीटेक में वे फेल हो गए. अब उनमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे पर‍िवार को ये बात बता पाएं क्योंकि वे एक लोअर मिडि‍ल क्लास फैमिली से आते हैं. जहां उनके पिता ने उनकी पढ़ाई पर काफी पैसे खर्च किए थे. इसलिए घर पर डिग्री पूरी होने का झूठ बोलकर उन्होंने जैसे-तैसे जुगाड़ कर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी पा ली.

कॉन्ट्री करके खाया था पहला पिज्जा
संदीप के मुताब‍िक, नौकरी करने के दौरान ही साल 2015 में न्यू ईयर के मौके पर उन्होंने और उनके दोस्तों ने आपस में पैसे मिलाकर (कॉन्ट्री) गुड़गांव में पहली बार पिज्जा खाया. 600 रुपये के आसपास का लार्ज साइज पिज्जा खाकर लगा कि ये चीज तो बढ़िया है, लेक‍िन बस एक रोटी पर सब्जी, चटनी और मक्खन लगा दिया है.

बकौल संदीप, उनकी पहली नौकरी में उनकी सैलरी 9,200 रुपये थी और उनके कमरे का किराया ही 10 हजार था. तीन और लोगों के साथ एक छोटे से कमरे में रहना होता था. महीने का सारा खर्च इसी सैलरी से निकालना होता था तो प‍िज्जा पैसे कॉन्ट्री करके ही खाया जा सकता था. अपने पहली बार पिज्जा खाने के अनुभव को बयां करते हुए संदीप कहते हैं क‍ि कई लोगों को पिज्जा की कीमत कोई बड़ी बात नहीं लगती, लेक‍िन मेरे और मेरे दोस्तों के लिए ये किसी त्योहार से कम नहीं था.

जब नौकरी छोड़कर घर लौटे संदीप
संदीप को काम-चलाने जितने वेतन पर नौकरी तो मिल गई, लेक‍िन अब भी वे कुछ अलग और बड़ा करने का सपना देख रहे थे. वो हमेशा खुद का कारोबार शुरू करना चाहते थे, जो क‍ि उस वक्त दूर की कौड़ी थी. फ‍िलहाल वे अपनी मौजूदा नौकरी बदलना चाहते थे. बीटेक पूरी न होने की वजह से वह भी मुमकिन न हो सका. हिम्मत जुटाकर उन्होंने घर वापसी की. ज‍िस वजह से उनके पिता काफी गुस्सा हुए. पिता का कहना था कि ना तो तुम्हारी डिग्री पूरी हुई, 10 लाख का खर्चा तुमपर वैसे हो चुका है और ऊपर से नौकरी भी छोड़ आए. संदीप ने अपने पिता को दुकान शुरू करवाने के लिए काफी मनाया. इसके बाद संदीप ने एक हार्डवेयर शॉप खोल ली.

दुकान का काम भी नहीं आया पसंद
संदीप को अपनी नई दुकान का काम भी पसंद नहीं आ रहा था. उन्होंने कई बिजनेस आइडियाज के बारे में सोचा. वहीं, ‘कॉन्ट्री’ वाले पिज्जा का स्वाद अब तक उनके जेहन से उतरा नहीं था. उन्होंने हिम्मत कर पिता से पिज्जा बनाना सीखने के लिए पैसे मांगे तो उन्हें टके सा जवाब म‍िला- ‘तेरे से कुछ नहीं हो सकता, तुझे ऐसे ही मेरा नुकसान करवाना है, ऐसे ही मुझे पागल बनाना है.’

हालांक‍ि, वे नहीं रुके. उन्होंने कई कंपनियों से फ्रेंचाइजी लेने के बारे में भी पूछा. लेक‍िन सिर्फ निराशा ही हाथ लगी. पिज्जा बनाना सीखने के लिए भी उन्हें अलवर जाना पड़ा. जिसके लिए डेढ़ लाख की फीस का इंतजाम करना था. उनके पिता ने तो हाथ खड़े कर दिए, मगर उनकी मां ने अपनी सारी सेव‍िंग्स उन्हें दे दी.

गोहना में खोला पहला स्टोर
संदीप ने पिज्जा बनाना तो सीख लिया, लेक‍िन पहला स्टोर खोलने में करीब 7 लाख रुपये की जरूरत थी. वहां भी उनके दोस्तों ने उनका साथ दिया. उनके भाई ने भी अपने बचाए हुए 3 लाख रुपये उन्हें दे दिए. 25 दिसंबर 2015 में गोहाना में उन्होंने अपना का पहला स्टोर खोला और नाम रखा- ‘पिज्जा गैलेरिया’.

संदीप के मुताब‍िक, उनका एक ही मकसद था कि गोहाना के लोगों को फ्रैश पिज्जा खिलाना, जो वहां के लोगों को नहीं मिल रहा था. ऐसे में मुझे ही उन लोगों का डॉमिनोज़ बनना था, मुझे ही उनका पिज्जा हट.

बेटे की मेहनत देख बदला पिता का नजरिया
पहले तो संदीप के पिता ने उनका साथ नहीं दिया. लेक‍िन, जब उन्होंने अपने बेटे को मेहनत करते देखा तो उन्होंने भी सपोर्ट करना शुरू कर दिया. संदीप बताते हैं कि उनके पापा ने एक दिन उनसे पूछा कि तुम्हारी कंपनी कैसे और कब बनेगी? उन्होंने बिना किसी जानकारी के कह दिया कि जिस दिन हमारे 10 स्टोर हो जाएंगे तब हमारी कंपनी बन जाएगी.

पिता नहीं देख पाए बेटे की कंपनी बनते
अपने पिता को 10 स्टोर का आंकड़ा देकर संदीप ने साल 2019 की शुरूआत में वो मुकाम छुआ भी. लेक‍िन, 2017 में ही उनके पिता का देहांत हो गया. पिता का यूं चले जाना संदीप के लिए कई तरह की परेशानियों का सबब बना. इस घटना ने उन्हें तोड़कर रख दिया. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि खुद का काम करूं या पिता की दुकान संभालूं. इस मुसीबत में संदीप की मां, जो महज आठवीं तक पढ़ी हैं, उन्होंने साथ देते हुए कहा क‍ि तुम अपना पैशन फॉलो करो. पिता की दुकान मैं देख लूंगी.

आज कई लोगों को रोजगार दे रही ‘पिज्जा-गैलेरिया’
50 करोड़ की नेटवर्थ वाली ‘पिज्जा गैलेरिया’ कंपनी पर कोई कर्ज नहीं. साथ ही इससे तकरीबन 250-300 लोगों को रोजगार म‍िल रहा है. गोहाना जैसे छोटे से शहर से दिल्ली जैसे महानगर तक का सफर तय कर चुकी उनकी कंपनी के आज 32 स्टोर्स हैं. जिनमें 18 खुद के, 4 फोको (Franchise Owned Company Operated) मॉडल और 10 आउटलेट फ्रेंचाइजी हैं. शार्क टैंक के बाद वो 12 फ्रेंचाइजी को कैथल, अंबाला, दिल्ली, फरीदाबाद जैसे शहरों के लिए डील कर चुके हैं.

‘शार्क टैंक’ में कैमरे देखकर घबरा गए थे संदीप
संदीप बताते हैं कि उन्होंने पहले भी दो बार ‘शार्क टैंक’ में जाने की कोशिश की थी. एक बार तो दरवाजे से ही रिजेक्ट होकर वापस लौट आना पड़ा. और जब मैं वहां तक पहुंचा तो कैमरा देखकर ही घबरा गया. लेक‍िन वहां से काफी सीखने को मिला. संदीप के मुताब‍िक, ‘शार्क टैंक’ से मुझे बेशक फंडिंग ना मिली हो, लेकिन मैंने गोहाना और हरियाणा का नाम रोशन किया. मुझे इसके लिए काफी दुआएं मिली हैं. मैं ‘पिज्जा गैलेरिया’ को भारत का नंबर-1 वेज पिज्जा ब्रांड बनाना चाहता हूं.’

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