शशि थरूर बोले- मालदीव में 100% मुसलमान, मगर चीन से बढ़ती करीबी पर रखनी होगी पैनी नजर

चेन्नई (Chennai)। कांग्रेस नेता शशि थरूर (Congress leader Shashi Tharoor) ने भारत-मालदीव विवाद (India-Maldives dispute), उत्तर बनाम दक्षिण (North vs South) और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratistha) को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि मालदीव (Maldives) हमेशा से भारत विरोधी नहीं रहा है. ऐसे कई नेता हुए हैं, जो भारत समर्थक थे. मालदीव हर कुछ वर्षों में अपनी सरकार बदलता है, इसलिए हम उनसे नीतियों पर पुनर्विचार की उम्मीद कर सकते हैं। हमने कई बार मालदीव की मदद की है. जब वे भारी जल संकट का सामना कर रहे थे, तब भी हमने उन्हें पीने का पानी उपलब्ध कराया था, यहां तक कि उस समय सत्ता में मौजूद पार्टी द्वारा हमारे खिलाफ “इंडिया आउट” अभियान भी चलाया जा रहा था. हमें फल की चिंता किए बिना सही काम करना चाहिए, श्रीमद्भगवत गीता हमें यही सिखाती है. हमें एक छोटे पड़ोसी की संवेदनाओं को समझना और उनका सम्मान करना चाहिए।

थरूर ने कहा- ये बात सही है कि मालदीव में 100 फीसदी मुसलमान हैं, लेकिन सच तो ये है कि पाकिस्तान का वहां कोई खास प्रभाव नहीं रहा है. लेकिन हमारा प्रभाव ऐतिहासिक रूप से बहुत अधिक रहा है. ऐतिहासिक रूप से छोटे पड़ोसियों को हमेशा बड़े पड़ोसियों से समस्या रही है. वे हमारे अस्तित्व के प्रति उदासीन और भारत के महत्व से अनभिज्ञ नहीं हो सकते. हम अपनी नीतियों का काफी परिपक्वता के साथ संचालन कर रहे हैं. हमें न तो वहां के वर्तमान नेता के हारने पर बहुत अधिक खुशी दिखानी चाहिए और न ही उसके दोबारा जीतने पर बहुत अधिक निंदा करनी चाहिए।

थरूर ने कहा कि लेकिन हमें मालदीव की वर्तमान सरकार की चीन से बढ़ती करीबियों पर पैनी नजर रखनी होगी. मालदीव हमारे सभी पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. हमारी सरकार को उन खतरों के प्रति अलर्ट रहना चाहिए जो इसका प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि हालिया सोशल मीडिया विवाद दुर्भाग्यपूर्ण था, मुझे नहीं लगता कि विदेश नीति सोशल मीडिया पर संचालित होनी चाहिए।

शशि थरूर ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कहा कि जब चार शंकराचार्य कह रहे हैं कि यह एक अधूरा मंदिर है और इस समय इसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, और वह भी एक संत के बजाय एक राजनेता द्वारा, तो मुझे कहना होगा कि एक हिंदू के रूप में, मुझे यह एक बहुत ही प्रेरक तर्क लगता है. साथ ही कहा कि मुझे राम मंदिर का न्योता नहीं मिला है. इसलिए मुझे न जाने के लिए जवाबदेह होने की जरूरत नहीं है. मेरा इरादा राम मंदिर जाने का है, लेकिन 22 जनवरी को नहीं. उस तारीख को पीएम ने चुनाव से पहले अपने राजनीतिक फायदे के लिए चुना है. प्रधानमंत्री मुख्य भूमिका निभाएंगे और पंडित सहायक भूमिका निभाएंगे।

‘मुझे सरकार की हिंदू-हिंदी-हिंदुस्तान राजनीति की चिंता’
कांग्रेस नेता थरूर ने कहा कि मेरा मानना है कि हमारा संघवाद वास्तव में संकट में है. हमारे प्रधानमंत्री सहकारी संघवाद की बात करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि केवल राज्यों से ही सहयोग की उम्मीद की जाती है और केंद्र सरकार अपनी मनमर्जी से काम करती है. उन्होंने कहा कि दक्षिण उत्तर को सब्सिडी देता रहा है, यूपी द्वारा दिए गए प्रत्येक 1 रुपये के लिए केंद्र से 1.79 रुपये मिलते हैं. वहीं, जब कर्नाटक 1 रुपया देता है तो उसे 0.47 रुपये वापस मिलते हैं. यही अंतर है।

यूपी में पूरे दक्षिण की तुलना में अधिक सांसद हो सकते हैं: थरूर
कर्नाटक अपने खर्चों का 72% हिस्सा राज्य के खुद के टैक्स से पूरा करता है. वहीं, बिहार को सिर्फ 23 फीसदी ही मिलता है. उनके खर्च का 77% हिस्सा केंद्र सरकार देती है. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 2026 में परिसीमन करेगी. अगर इरादा नए लोकसभा हॉल को भरने का है, तो यूपी में पूरे दक्षिण की तुलना में अधिक सांसद हो सकते हैं. अगर हिंदी भाषी राज्यों के पास दो-तिहाई बहुमत है, तो उन्हें हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संशोधन लाने से कौन रोकता है?

दक्षिण के नेताओं में बेचैनी बढ़ी
कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे वर्तमान सरकार की हिंदू-हिंदी-हिंदुस्तान राजनीति की चिंता है. इसने कई दक्षिणी राजनेताओं में बेचैनी बढ़ा दी है. अगर दक्षिण को राजनीतिक रूप से वंचित होने का सामना करना पड़ता है, साथ ही वित्तीय उत्पीड़न की भावना भी आती है, तो इससे आक्रोश उत्पन्न होना तय है, जो हमारी नियमित राजनीति की सीमाओं तक फैल सकता है. मैं नहीं चाहता कि भारत की एकता और अखंडता को किसी भी तरह से खतरा हो।

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