दिलचस्प बयानों को लेकर सुर्खियों में शिवराज, अब सुनाई अपने जीवन के पहले आंदोलन की कहानी

भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Former Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) लगातार अपने दिलचस्प बयानों से सुर्खियों (Headlines with interesting statements) में बने हुए हैं. हाल ही में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने एक ऐसा बयान दिया, जिसकी चर्चा हो रही है. उन्होंने बताया कि जीवन का पहला आंदोलन उन्होंने महज़ सात साल की उम्र में किया था और वो हमेशा से ही राजनीति में आना चाहते थे.

शिवराज बोले, ‘मैं राजनीति में इसलिए आया क्योंकि स्वामी विवेकानंद के इन शब्दों ने मुझे बहुत प्रभावित किया उन्होंने कहा था, ‘तुम अनंत शक्तियों का भंडार हो और जीवन इसलिए नहीं है कि ये व्यर्थ गंवाया जाए, इसे बेकार किया जाए. जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था, तब पहला आंदोलन शुरू किया था.’ शिवराज सिंह चौहान ने बताया, ‘यह आंदोलन मेरे गांव के मजदूरों के लिए था. उस समय मजदूरों को मेहनताना पैसे में नहीं बल्कि अनाज में दिया जाता था. एक बर्तन में नाप कर उन्हें अनाज दिया जाता था. ढाई पाई मिलती थी, तब मैंने कहा था कि ढाई पाई नहीं बल्कि अब पांच पाई लेंगे.’

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मैंने मजदूरों के हक के लिए बैठक बुलाई, लेकिन बैठक में लोग बहुत कम आए क्योंकि उस समय मेरी उम्र छोटी थी. इसके बाद 20-25 मजदूरों को लेकर जुलूस निकाला था. हम लोग आगे बढ़े और घर के सामने जब जुलूस गया तो मेरे घर से चाचा जी लाठी लेकर निकले और कहा ‘अभी तेरी मजदूरी बढ़ाता हूं’, क्योंकि वो खुद किसान थे. मन में कोई काम करने एक तड़प और आग होती है. अगर वह आग आपके मन में भी है, तो आपको बड़े से बड़ा व्यक्ति बना सकती है. वहीं, हाल ही में शिवराज सिंह का एक और बयान सुर्खियों में आया जब उन्होंने कहा, ‘मुझे पूर्व मुख्यमंत्री कहिए, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं हैं. सीएम पद छोड़ दिया, तो ऐसा नहीं है कि मैं राजनीति नहीं करूंगा. राजनीति किसी पद के लिए नहीं, बल्कि लक्ष्य के लिए होती है.’

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