Surya grahan, सूर्यग्रहण सूतक, चैत्र नवरात्रि, हिंदू नववर्ष, क्या सूर्य ग्रहण का इन पर फर्क पड़ेगा?

नई दिल्‍ली (New Delhi)। Total Solar Eclipse 8 अप्रैल को चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya)है और इस दिन सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)लग रहा है। यह ग्रहण 8 अप्रैल और 8 अप्रैल की रात (Night)को लग रहा हैं, ऐसे में नवरात्रि(Navratri) को लेकर भी सूर्य ग्रहण के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल 8 अप्रैल 2024 को सूर्य ग्रहण रात 09:12 मिनट से मध्य रात्रि 01:25 मिनट तक रहेगा यानी 9 अप्रैल को जिस दिन से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं, उस दिन सूर्य ग्रहण का साया रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 25 मिनट तक होगी। इसी दिन से हिंदू नववर्ष का शुभारंभ हो जाएगा। इसी दिन घट स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। ऐसे में ग्रहण के सूतक काल और नवरात्रि में ग्रहण काल में स्थापना पर विचार किया जाना चाहिए

Total Solar Eclipse का सूतक काल

यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा, वैसे आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण का सूत 12 घंटे पहले लग जाता है, इस हिसाब से जिन देशों में यह दिखेगा वहां 8 अप्रैल को सुबह से सूतक काल होगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं दे रहा है, तो इसका सूतक और नवरात्रि में कलश स्थापना पर भी विचार नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि आप सभी आराम से 8 अप्रैल को अमावस्या पूजन, 9 को कलश स्थापना कर सकते हैं। नव वर्ष पर भी इसका कोई असर नहीं है। राशियों पर असर होगा।

कलश स्थापन का मुहूर्त

आचार्य ने बताया कि 09 अप्रैल को सुबह 5 बजे से सूर्यास्त तक कलश स्थापना की जा सकती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल की रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू हो जाएगी, जिसका समापन नौ अप्रैल की रात नौ बजकर 43 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू होगी। वहीं, नौ अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।

घोड़े पर सवार होकर आएंगी देवी दुर्गा

इसबार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। मंगलवार को चैत्र नवरात्र शुरू होने के कारण मां का वाहन घोड़ा होगा। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका पसंदीदा भोग लगाकर मां का आशीर्वाद पाया जा सकता है।

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