भारत में शिक्षकों पर कितना हो खर्च, नारायण मूर्ति ने बताया आंकड़ा

नई दिल्‍ली (New Delhi) । सॉफ्टवेयर की दुनिया के दिग्गज एन आर नारायण मूर्ति (N R Narayana Murthy) ने बताया कि आखिर भारत (india) में शिक्षकों (teachers) पर कितना खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि विकसित देशों और भारत के 10 हजार बड़े रिटायर्ड शिक्षकों की तरफ से देश में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक बिलियन डॉलर खर्च करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने विशेषतौर पर STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स विषयों का जिक्र किया।

मूर्ति ने कहा, ‘हमें अपने शिक्षकों और अनुसंधानकर्ताओं को बहुत सम्मान देने के साथ ही बेहतर वेतन देना चाहिए। हमें अपने अनुसंधानकर्ताओं को बेहतर सुविधाएं भी प्रदान करनी चाहिए। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। वे हमारे युवाओं के लिए आदर्श हैं। इसीलिए हमने 2009 में इंफोसिस पुरस्कार की स्थापना की। यह भारत में अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में हमारा छोटा सा योगदान है।’

उन्होंने कहा कि NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के परिणाम में तेजी लाने का एक संभावित तरीका देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र-शासित प्रदेशों में 2,500 ‘ट्रेन द टीचर’ कॉलेज के निर्माण के लिए भारत और विकसित दुनिया में एसटीईएम क्षेत्रों में निपुण 10,000 सेवानिवृत्त शिक्षकों को आमंत्रित करना है।

बेंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन में इंफोसिस के संस्थापक मूर्ति ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सालभर का होना चाहिए। कार्यक्रम में इंफोसिस साइंस फाउंडेशन ने छह श्रेणियों में इंफोसिस पुरस्कार-2023 की घोषणा की।

मूर्ति ने कहा, ‘विशेषज्ञ मुझे बताते हैं कि चार प्रशिक्षकों का प्रत्येक समूह एक वर्ष में प्राथमिक विद्यालयों के 100 शिक्षकों और माध्यमिक विद्यालय के 100 शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकता है। हम इस पद्धति से हर साल प्राथमिक विद्यालय के 2,50,000 शिक्षकों और माध्यमिक विद्यालय के 250,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने कहा कि ये प्रशिक्षित भारतीय शिक्षक पांच साल की अवधि में खुद प्रशिक्षक बन सकते हैं।

मूर्ति ने कहा, ‘हमें प्रत्येक सेवानिवृत्त शिक्षक को प्रति वर्ष लगभग 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना चाहिए। इस 20 वर्षीय कार्यक्रम पर प्रति वर्ष एक अरब अमेरिकी डॉलर और 20 वर्षों के लिए 20 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा। जल्द ही 50 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखने वाले हमारे देश के लिए यह कोई बड़ा वित्तीय बोझ नहीं होगा।’

इंफोसिस संस्थापक ने कहा कि अगर आपको लगता है कि यह महंगा है, तो आपको हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डेरेक बोक के शब्द याद करने चाहिए, जिन्होंने कहा था, ‘अगर आपको लगता है कि शिक्षा महंगी है, तो इसे नजरअंदाज करने का प्रयास करें।’

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