दो बस टर्मिनल के निर्माण से ही प्राधिकरण को 41 करोड़ से ज्यादा का पड़ा अतिरिक्त फटका

  • कुमेर्डी प्रोजेक्ट तो १०० करोड़ पार पहुंच ही गया, वहीं नायता मुंडला के लिए भी बोर्ड से २२.७४ करोड़ अतिरिक्त करवाना पड़े मंजूर

इंदौर। प्राधिकरण द्वारा दो अत्याधुनिक आईएसबीटी, यानी अंतरराज्यीय बस टर्मिनल निर्मित करवाए गए हैं, मगर समय बढऩे के साथ 18 फीसदी जीएसटी की राशि का भार पडऩे से इन दोनों बस टर्मिनल की लागत लगभग दोगुना तक पहुंच गई है, जिसके चलते 41 करोड़ रुपए से अतिरिक्ति का फटका प्राधिकरण को लगा है। कुमेर्डी स्थित आईएसबीटी की कुल लागत तो 100 करोड़ पार कर गई है, जिसमें जीएसटी के ही 15 करोड़ 20 लाख रुपए चुकाना पड़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ नायता मुंडला का जो बस टर्मिनल तैयार होकर शुरू किया जाना है, उसके लिए भी पिछली बोर्ड बैठक में 22.74 करोड़ रुपए के अतिरिक्त कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति ली गई। उसमें भी 5 करोड़ रुपए से अधिक तो जीएसटी के ही चुकाना पड़ रहे हैं।

पिछले दिनों प्रशासन ने तय किया था कि नायता मुंडला बस टर्मिनल से ही तीन इमली और नवलखा बस स्टैंड की बसें संचालित होंगी। हालांकि ऑपरेटरों के विरोध और दूरी के चलते अभी इस पर अमल नहीं हो सका है। साथ ही यह प्रयास भी किए जा रहे हैं कि यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए सिटी बसों के साथ सस्ते परिवहन की भी व्यवस्था करवाई जाए। दूसरी तरफ एमआर-10 की योजना 139 और 169-ए पर भी प्राधिकरण ने एयरपोर्ट की तर्ज पर विशाल आईएसबीटी निर्मित करवाया है। हालांकि इसका अभी काम शेष है, क्योंकि लोहे का जो विशाल स्ट्रक्चर लगाया गया उसी में सालभर से अधिक का समय लग गया है।

लिहाजा अब लोकसभा चुनाव के बाद ही इसका लोकार्पण संभव है। वहीं इसकी लागत भी लगभग दोगुनी हो गई है। 5 साल पहले जब बीआर गोयल इन्फ्रास्ट्रक्चर को इसका ठेका दिया था, तब 53.52 करोड़ रुपए तो टेंडर राशि और उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी के 9.63 करोड़ जोडऩे पर कुल 63.15 करोड़ रुपए की लागत तय थी, मगर उसके बाद बाउंड्रीवॉल के निर्माण पर 3.20 करोड़, नगर निगम से जो बिल्डिंग परमिशन हासिल की उसकी फीस 66.68 लाख रुपए चुकाई गई। वहीं जलप्रदाय लाइन, फर्नीचर सहित अन्य कार्य पर साढ़े 3 करोड़ रुपए, वहीं कंसल्टेंसी और पीएमसी के लिए 1.40 करोड़, विद्युतीकरण, आरओ प्लांट सहित अन्य पर साढ़े 6 करोड़ रुपए, इस तरह कुल राशि 100 करोड़ 90 लाख रुपए तक पहुंच गई है, जिसमें 15.20 करोड़ रुपए की राशि तो सिर्फ जीएसटी की ही है। दूसरी तरफ नायता मुंडला बस स्टैंड के लिए भी निर्माण राशि 5 साल पहले 12.76 करोड़ तय की गई थी, जिसमें जीएसटी भी शामिल था, मगर बाद में काम बढऩे और आरई-2 को जोडऩे वाली एप्रोच रोड सहित अन्य के चलते 22.74 करोड़ रुपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति बोर्ड से लेना पड़ी। इस बस टर्मिनल का निर्माण ठेकेदार फर्म ओमप्रकाश अमरनाथ से कराया गया है, जिसमें अतिरिक्त कार्य के 5.21 करोड़ के अलावा जीएसटी की भी राशि शामिल है। यानी इन दोनों आईएसबीटी के निर्माण पर प्राधिकरण को 41 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा है। यह भी उल्लेखनीय है कि एमआर-10 पर जो बड़ा आईएसबीटी बनाया जा रहा है उसके लिए 5.81 हेक्टेयर जमीन ली गई है, जो कि मूल क्षेत्रफल से 31 फीसदी ज्यादा रही। उसके कारण भी लागत में वृद्धि हो गई। वहीं 20131 में जब प्राधिकरण ने आईएसबीटी की लागत का आकलन किया, तब जीएसटी का अलग से भुगतान करने का प्रावधान नहीं था, मगर उसके बाद केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू कर दिया। नतीजतन प्राधिकरण को अपने कार्य आदेशों में भी संशोधन करना पड़ा और जीएसटी की करोड़ों रुपए की राशि अलग से ठेकेदार फर्मों को देना पड़ी।

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