देश के संसदीय इतिहास की सबसे बड़ी कार्रवाई, पहली बार दोनों सदनों के 92 MPs सस्पेंड

नई दिल्ली (New Delhi)। संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (winter session) के दौरान 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही (Proceedings of Lok Sabha) के दौरान सुरक्षा में चूक (security breach) की गंभीर घटना घटी थी। इस घटना के बाद से ही विपक्षी सांसद केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए। विपक्ष सरकार से संसद की सुरक्षा में सेंध मामले पर चर्चा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) से जवाब की मांग कर रहा है। इसी मांग को लेकर विपक्षी सांसदों (Opposition MPs) ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा (created ruckus both houses) किया।

लोकसभा और राज्यसभा में भारी नारेबाजी और नियमों में उल्लंघन के बाद ‘कार्यवाही में व्यवधान’ डालने के आरोप में कई विपक्षी सांसदों को शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया। वर्तमान में चल रहे शीतकालीन सत्र में अब तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। पिछले हफ्ते गुरुवार को लोकसभा के 13 सांसद और राज्यसभा से एक सांसद को निलंबित किया गया था। वहीं, सोमवार को लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 सासंदों को निलंबित किया गया। यह किसी भी सत्र में निलंबित सांसदों की सबसे बड़ी संख्या है।

1989 में 63 सांसद हुए थे निलंबित
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सांसदों ने निलंबन का पहला मामला 1963 में आया। जब राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कुछ सांसदों ने हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर गए। बाद में इन सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद 1966 में राज्यसभा से दो सांसदों को दिनभर की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था। सांसदों की सबसे बड़ी संख्या में निलंबन की कार्रवाई राजीव गांधी सरकार के वक्त 1989 में हुई थी। जब एक साथ 63 सांसदों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था। उस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर बने ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा हो रहा था।

2010 के बाद बढ़ी निलंबन की कार्रवाई
2010 में महिला आरक्षण बिल के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ। सांसदों ने जमकर नारेबाजी की, बिल की कॉपी फेंक दी, तख्तियां लहराईं, काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। इस पर कार्रवाई करते हुए सात सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। मार्च 2010 में बजट सत्र के दौरान यह कार्रवाई हुई थी।

2012 में बजट सत्र के दौरान तेलंगाना से आने वाले कांग्रेस के आठ सांसदों को चार दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था। ये सांसद अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए हंगामा कर रहे थे। अगस्त 2013 में मानसून सत्र के दौरान 12 सासंदों को पांच दिन के लिए लिए निलंबित कर दिया गया था। इसी सत्र में एक महीने पहले इसी मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के नौ सांसदों को भी निलंबित किया गया था। नए राज्य तेलंगाना के गठन के बिल आने पर सदन में जमकर हंगामा हुआ था। इस दौरान फरवरी 2014 में तेलंगाना गठन का विरोध कर रहे 16 सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया था।

मोदी राज में तेजी से बढ़ा सांसदों का निलंबन
बीते नौ साल में यह पहला मौका नहीं है जब बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किया गया हो। मोदी राज में इससे पहले 2018 में भी बड़े पैमाने पर सांसदों को निलंबित किया गया था। जनवरी 2019 में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तेलगू देशम पार्टी और एआईएडीएमके के कुल 45 सांसदों को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया था। टीडीपी के सांसद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। वहीं, तमिलनाडु के एआईएडीएमके के सांसद कावेरी नदी पर प्रस्तावित डैम का विरोध कर रहे थे।

जुलाई 2018 के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के छह सांसदों को पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था। इस दौरान विपक्ष मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहा था। 2020 के मानसून सत्र के दौरान आठ सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। ये सांसद केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनो के खिलाफ हंगामा कर रहे थे। निलंबन के बाद इन सांसदों ने ससंद परिसर में बनी गांधी प्रतिमा के सामने रातभर धरना भी दिया था।

2020 के ही बजट सत्र में कांग्रेस के सात सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया था। इन सांसदों पर लोकसभा अध्यक्ष की मेज से कागजात छीनने का आरोप लगा था। उस वक्त विपक्षी सांसद दिल्ली में हुए दंगों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। निलंबित सांसदों पर से यह निलंबन एक हफ्ते बाद वापस ले लिया गया था।

2021 में मानूसन सत्र के दौरान पेगासस जासूस कांड, किसानों के आंदोलन, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान भी जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के चलते टीएमसी के छह सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया। इसी तरह 2021 के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।

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