युवा मोर्चा को लीड करने वालों का दबदबा बढ़ा

  • संगठन में भाई-भतीजावाद को कम करने की कवायद
  • जबलपुर के धीरज और अभिलाष को मिल सकती है बड़ी जवाबदारी

जबलपुर। प्रदेश की भाजपा की राजनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है। इसका असर महाकोशल के जबलपुर में भी हुआ है। अभी हाल में जबलपुर के धीरज पटेरिया की पार्टी में वापिसी हुई है। श्री पटेरिया के आने से जहां शहर के मध्य में पार्टी संगठन स्तर पर मजबूत होगी, वहीं दूसरी तरफ पहले से पश्चिम क्षेत्र से आने वाले अभिलाष पांडे भी सक्रिय हैं। ये दोनो नेता भाजपा युवा मोर्चा से आते रहे हैं और दोनों ने युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन को लीड किया है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी में वंशवाद का महत्व कम हो गया तो युवा मोर्चा से आने वाले नेताओं का दबदबा बढऩे से इंकार नहीं किया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में वंशवाद और परिवारवाद पर अंकुश लगाने के लिए कड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। इसको लेकर पार्टी के शीर्ष स्तर पर मंथन हो चुका है और एक फार्मूला भी तैयार है। इसे प्रयोग के तौर पर भाजपा के गढ़ माने जाने वाले मप्र से विधानसभा चुनाव में अपनाया जा सकता है। जिसके तहत चुनाव में किसी भी नेता के बेटा-बेटी या अन्य किसी परिजन को सीधा टिकट नहीं मिलेगा। इसकी वजाए संगठन दूसरी एवं तीसरी पीढ़ी को खड़ा करने के लिए भाजपा की नर्सरी भाजयुमो से निकले नेताओं को चुनाव में अवसर देने पर विचार करेगी।

संगठन के संज्ञान में आया है कि मप्र में पिछले 18 साल में भाजयुमो के नेताओं को उतना आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है, जितना होना चाहिए। मप्र का मौजूदा नेतृत्व भी पूर्व भाजयुमो से निकला है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने खड़ा किया था। मप्र में मंत्री कमल पटेल के बाद सिर्फ विश्वास सारंग को विधायक का चुनाव लड़ाया गया। हालांकि पार्टी में बताते हैं कि विश्वास सारंग को युवा मोर्चा की वजह से नहीं बल्कि उनके पिता की वजह से टिकट मिला था। जबकि धीरज पटैरिया, जीतू जिराती, अमरदीप मौर्य, अभिलाष पांडे मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, इनमें से किसी को टिकट नहीं मिला। हालांकि जीतू जिराती मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनने से पहले ही विधायक बन गए थे। संगठन सूत्रों ने बताया कि पार्टी अगले चुनाव में युवा मोर्चा को चुनाव में उतारने पर जोर देने जा रही है। हालांकि अभी इसको लेकर किसी तरह का अधिकृत फैसला नहीं हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी का मानना है कि भाजपा में हमेशा युवा मोर्चा को ही आगे किया जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा मोर्चा को सिर्फ चुनाव प्रचार तक सीमित रखा है। संगठन सूत्रों के अनुसार राजनीति में नई पीड़ी खड़ा करने के लिए भाजपा अब युवा मोर्चा पर फोकस कर रही है। इसके लिए बाकायदा युवा मोर्चा से निकले चेहरों को तलाश किया जा चुका है।

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