चाय बेचने वाले को बिजली विभाग ने भेजा 1.20 लाख का नोटिस, बुजुर्ग की बिगड़ी हालत

हापुड़: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के गांव दोयमी निवासी चाय का खोखा चलाने वाले बुजुर्ग को ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने 1.20 लाख की रिकवरी का नोटिस जारी किया है, इससे बुजुर्ग की हालत बिगड़ गई है. पीडि़त ने अधिशासी अभियंता से शिकायत कर, इस नोटिस को वापस लेने की मांग की है. साथ ही दावा किया है कि वर्ष 2017 में दीन दयाल योजना में खंभे लगने के बाद ही उन्हें कनेक्शन मिला है, जिसका वो बिल भी जमा कर रहे हैं.

दोयमी निवासी रविदत्त शर्मा ने बताया कि वर्ष 2008 में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. उस समय खंभे से घर की दूरी अधिक बताकर कनेक्शन देने से इंकार कर दिया गया था. वर्ष 2017 में दीन दयाल योजना में खंभे लगने पर उसे बिजली मिल सकी, आरोप है कि ऊर्जा निगम की ओर से उसे 1.20 लाख रुपये की बकायेदारी का नोटिस मिला है.

पीडि़त ने बताया कि वह चाय का खोखा चलाकर किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है. ऐसे में 1.20 लाख रुपए वह कैसे लाएगा, जब उसने बिजली का प्रयोग ही नहीं किया. ऐसे में बिल की रिकवरी किसी आधार पर भेजी गई है. पीडित ने बताया कि वर्ष 2017 के बाद से उसने बिजली का प्रयोग किया है. जिसका समय समय पर बिल भुगतान भी कर रहा है. इस मामले में पीडि़त ने अधिशासी अभियंता से शिकायत कर 1.20 लाख की रिकवरी का नोटिस वापस लेने की मांग की है.

एक ही उपभोक्ताओं के किए दो-दो कनेक्शन
जिले के तीनों डिवीजन में दस हजार से अधिक ऐसे उपभोक्ता हैं, जो नेवर पेड में बने हुए हैं. इन उपभोक्ताओं ने कोई पैसा जमा नहीं किया है. निगम में चर्चा यह भी है कि बिजली निगम के अधिकारियों ने एक ही उपभोक्ताओं के दो दो कनेक्शन कर दिए, जिसके चलते वह एक कनेक्शन का पैसा जमा नहीं कर रहे, ऐसे में नेवर पेड वालों की संख्या बढ़ रही है.

अधिशासी अभियंता मनोज कुमार ने कहा कि दोयमी निवासी उपभोक्ता ने शिकायत दर्ज करायी है, इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. यदि बकायेदारी गलत हुई तो नोटिस को वापस लिया जाएगा. वहीं बिजली विभाग में जब से प्राइवेट में गया है तब से लोकल मीटर रीडर आते हैं वह लोगों गलत तरीक़े से बिल निकालकर चले जाते है, मगर उन लोगों को पता नहीं चलता है वहीं दोयमी निवासी चाय विक्रेता बुजुर्ग रविदत्त शर्मा का रो रोकर बुरा हाल है बिल ठीक कराने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है मगर अधिकारी सुन नहीं रहे हैं.

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