30 अरब डॉलर का है आयुर्वेद का वैश्विक बाजार, WHO ने एलोपैथी-आयुर्वेद का मॉड्यूल किया तैयार

पणजी। जल्द ही दुनिया की दो बड़ी चिकित्सापैथी बड़े स्तर पर एक साथ मरीजों का उपचार करती दिखाई देगीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा को एलोपैथी के साथ जोड़कर एक मिश्रित मॉड्यूल तैयार किया है जिसके जरिये देश के पांच लाख से भी अधिक आयुर्वेद डॉक्टरों को उपचार करने में मदद मिलेगी।

इसकी पद्धतियों को विनियमित करने के लिए निर्धारित मानक और एक मानकीकृत शब्दावली दस्तावेज भी तैयार किया गया है जो आयुर्वेद चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा के साथ आसान तरीके से संपर्क स्थापित करने में मदद करेगा। बृहस्पतिवार को गोवा की राजधानी पणजी में शुरू हुए विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में एक निजी मीडिया संस्‍थान से बातचीत में डब्ल्यूएचओ के पारंपरिक चिकित्सा एवं तकनीकी अधिकारी डॉ. गीता कृष्णन ने बताया कि डब्ल्यूएचओ का पारंपरिक चिकित्सा को लेकर तैयार वैश्विक केंद्र अधिक साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद लाने के लिए दुनिया भर में कई सरकारों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम आयुर्वेद को रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण में शामिल करने के लिए काफी काम कर रहे हैं।

देश के डॉक्टरों के लिए नियामक प्लेटफॉर्म बनेगा
एक सवाल पर डॉ. कृष्णन ने बताया कि भारत के आयुर्वेद डॉक्टरों के लिए जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से एक नियामक सहयोग प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा जिसे रेगुलेटरी कॉपरेशन प्लेटफॉर्म भी कहा जाएगा। यह आगामी 10 से 15 वर्ष के भीतर आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकृति दिलाने में मददगार होगा।

सस्ता है आयुर्वेद, 93 देशों में चल रहा इलाज : आयुर्वेद बनाम एलोपैथी पर डॉ. कृष्णन ने कहा, ‘हमारे पास मौजूद साक्ष्यों से पता चलता है कि आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों चिकित्सा का उपयोग मरीजों के हित में किया जा सकता है।

आयुर्वेद का वैश्विक बाजार 2022 में 30 अरब डॉलर (2.47 लाख करोड़ रुपये) का है।

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