देश का बहुसंख्यक समाज कानून का पालन करता है

  • पत्रकार डॉ. कुल्मी ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी समान नागरिक संहिता पूर्व सरकारों ने नहीं की लागू

उज्जैन। हम हिंदुस्तानी समूह द्वारा गत समान नागरिक संहिता को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें बुद्धिजीवियों ने शामिल होकर अपने-अपने विचार रखे। आर्य समाज में आयोजित विचार गोष्ठी में प्रसिद्ध पत्रकार डॉ. योगेश कुल्मी ने कहा कि भारत में रहकर संविधान की दुहाई देकर संविधान पर विश्वास ना रखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। संविधान निर्माण की समिति ने देश आजाद होने के बाद संविधान निर्माण के समय से ही समान नागरिक संहिता बनाकर पालन करने की सिफारिश की थी जिसे बाद में कर्णधारों द्वारा नीति निर्धारण विषय राज्यों की सहमति पर छोड़ दिया गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्ववर्ती सरकारों से अनेक बार समान नागरिक संहिता लागू करने को कहा जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

शिक्षाविद प्रबोध पंड्या ने कहा 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं तो क्या उन्हें अल्पसंख्यकों की सुविधाएं मिल रही है। बिना दंडात्मक प्रावधान के समान नागरिक संहिता को लागू करना अर्थहीन है। आज भी हिंदू धर्म शास्त्रों को वैधानिक रूप से पढ़ाने पर प्रतिबंध है। समाजसेवी डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा हम 70 वर्षों के बाद देश में परिवर्तन देख रहे हैं सामाजिक एकजुटता के साथ हम सबको समान नागरिक संहिता का समर्थन करना चाहिए। अधिवक्ता प्रवीण पंड्या ने कहा कानून सभी धर्म पंथों पर समान रूप से लागू होना चाहिए। हम हिंदुस्तानी समूह से राजेश पंड्या, श्री गुलाटी, तुलसी लेखवानी, अचला शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में सभी उपस्थित सदस्यों ने समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया एवं इसे शीघ्र लागू करने की मांग की।

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