पांच साल में तापमान का रिकॉर्ड टूटने की आशंका 98 फीसदी तक बढ़ी, WMO का दावा- अल नीनो बनेगा वजह

संयुक्त राष्ट्र। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि आने वाले पांच वर्षों में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को सीमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत 1.5 डिग्री सेल्सियस की वैश्विक तापमान सीमा को पार करने की आशंका दो तिहाई बढ़ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ताप को अवशोषित करने वाली ग्रीनहाउस गैसों और अल नीनो की वजह से अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि होगी। इस दौरान 98 फीसदी आशंका इस बात की है कि 2023 से 2027 के बीच एक साल ऐसा होगा, जो अब तक के सबसे गर्म साल रहे 2016 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा।

2015 में पेरिस समझौते के तहत तय किया गया कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन के भीषण प्रकोप से बचाने के लिए सदी के अंत तक पृथ्वी की सतह के औसत तापमान को औद्योगिक काल पूर्व (1850-1900) काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देना है और किसी भी कीमत पर 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है। लेकिन, डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की आशंका 66 फीसदी है कि 2023 और 2027 के बीच निकट-सतह वार्षिक औसत वैश्विक तापमान औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा।

स्थायी नहीं होगा बदलाव
रिपोर्ट के शीर्ष लेखक व जलवायु विज्ञानी लियोन हर्मनसन कहते हैं, राहत की बात यह है कि यह बदलाव स्थायी नहीं होगा, जिससे वैश्विक तापमान लक्ष्य को हासिल करने की संभावना बनी रहेगी। वैज्ञानिक आमतौर पर 30 साल के औसत का उपयोग करते हैं। यहां ध्यान देने की बात यही है कि जलवायु बदलाव के खिलाफ जारी प्रयासों के सामने बाधाओं का स्तर आने वाले पांच वर्ष में 66 फीसदी तक बढ़ जाएगा, जो पिछले वर्ष तक 48 फीसदी था, 2020 में 20 फीसदी और एक दशक पहले 10 फीसदी था।

अच्छी खबर भी
हर्मनसन कहते हैं, सब बुरा नहीं, अच्छी खबर भी है। ला नीना से अल नीनो में बदलाव की वजह से जहां पहले बाढ़ थी, वहां राहत मिलेगी और और जहां पहले सूखा पड़ा था, वहां जमकर बारिश होने वाली है। अमेजन के जंगल अगले पांच वर्ष असामान्य रूप से सूखे रहेंगे, जबकि जबकि अफ्रीका का साहेल हिस्सा- उत्तर में सहारा और दक्षिण में सवाना के बीच संक्रमण क्षेत्र बारिश से तर होगा।

  • पेन्सिलवेनिया विवि के जलवायु वैज्ञानिक माइकल मान कहते हैं, असल चिंता महासागरों के गहरे पानी में छिपी है, जो मानवजनित गर्मी के बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और इसकी वजह से समुद्र की गर्मी की मात्रा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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