इंदौर के यादव नेताओं में भी जोश, सामाजिक गतिविधियों में अक्सर आते-जाते रहते हैं यादव

यादव समाज के युवाओं ने आतिशबाजी कर बांटी मिठाई

इंदौर। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan yadav) यू तो इंदौर (indore) के पड़ौसी हैं, लेकिन यहां यादव समाज की गतिविधियों में उनका आना-जाना लगा रहता है। इंदौर में उनकी रिश्तेदारी भी हैं। कल यादव समाज के युवाओं को जैसे ही जानकारी मिली कि मोहन यादव प्रदेश के मुखिया होंगे, उन्होंने आतिशबाजी कर जश्न मनाया।

मालवा क्षेत्र से लंबे समय बाद प्रदेश को नेतृत्व मिला है। वहीं यादव समाज से भी बाबूलाल गौर के बाद मोहन यादव के हाथ में प्रदेश की सत्ता की कमान आई है। 19 साल पहले 2004 में जब उमा भारती मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बैंगलुरू गई थी, तब गौर को इस पद पर बैठाया गया था, लेकिन वे लंबे समय तक इस पद पर नहीं रह पाए और 14 महीने बाद उन्हें हटाकर शिवराजसिंह चौहान को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। हालांकि उस समय यादव लॉबी प्रदेश में हावी रही। अब जब मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है, इसको लेकर यादव खेमा खुश हैं। भाजपा को इसके बहाने भले ही ओबीसी वोट बैंक को साधने का मौका मिला है, लेकिन इंदौर की हर सामाजिक गतिविधि में मोहन यादव आते-जाते रहे हैं। उनकी इंदौर में रिश्तेदारी भी हैं। नगर निगम सभापति मुन्नालाल यादव से उनकी पारिवारिक नजदीकियां हैं। वहीं यादव के पुत्र अंकित यादव के ससुराल में मोहन यादव की रिश्तेदारी हैं। यही नहीं यादव समाज के किसी भी आयोजन में वे आने के लिए एक पैर पर तैयार रहते हैं। जन्माष्टमी पर निकलने वाली शोभायात्रा में भी वे विशेष रुप से यहां आते रहे हैं। यही नहीं इंदौर के बाणगंगा क्षेत्र में भी उनकी रिश्तेदारी हैं। हालांकि यह तो तय है कि उज्जैन से इंदौरी यादव नेताओं की नजदीकी के चलते मोहन यादव का एक शक्ति केन्द्र इंदौर में भी रहेगा।

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