नड्डा की जुगाड़ और संघ सहमति से 15 मिनट में हो गई मोहन यादव की ताजपोशी… सारे दावेदार ताकते रह गए, तो भर आई शिवराज की आंखें

इंदौर, राजेश ज्वेल । भाजपा (BJP) का केन्द्रीय नेतृत्व चौंकाने वाले फैसले लेता है जो कल एक बार फिर साबित हो गया। जो नाम किसी ने सोचा भी नहीं उसे मुख्यमंत्री (Chief Minister) की कुर्सी सौंप दी। उज्जैन के मोहन यादव (Mohan Yadav) अब साढ़े 8 करोड़ मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की जनता के मुखिया बनाए गए हैं। भाजपा के 163 विधायकों की रायशुमारी मात्र औपचारिकता थी और मोदी-शाह (Modi-Shah) द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षक मनोहरलाल खट्टर (Manoharlal Khattar) ने दावेदारों को स्पष्ट बता दिया कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, मात्र 15 मिनट में यादव का नाम घोषित कर तय कर दिया गया और प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, नरेन्द्रसिंह तोमर, गोपाल भार्गव सहित सारे दावेदार मुंह ताकते रह गए।

साढ़े 18 साल तक प्रदेश पर राज करने वाले शिवराजसिंह चौहान को केन्द्रीय नेतृत्व की मंशा अनुरूप मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखना पड़ा और फिर बधाई देते वक्त उनकी आंखें भी भर आईं। दो दिन पहले ही उन्होंने सबको राम-राम भी कह दिया था। हालांकि केन्द्रीय नेतृत्व ने उनकी विदाई की पटकथा चलते चुनाव के दौरान ही लिख दी थी और मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें प्रोजेक्ट भी नहीं किया गया, लेकिन यह अनुमान अवश्य लगाए जा रहे थे कि चूंकि $लाड़ली बहना सहित उनके कार्यों पर भी जनता ने मुहर लगाई और मोदी मैजिक के साथ 163 सीटें जिताईं। ऐसे में संभव है कि लोकसभा चुनाव तक शिवराज ही मुख्यमंत्री बने रहें। दूसरी तरफ दिल्ली से भेजे गए दिग्गजों के नाम भी सोशल से लेकर सभी मीडिया और राजनीतिक गलियारों में गुंजाएमान रहे, जिनमें प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, नरेन्द्रसिंह तोमर से लेकर गोपाल भार्गव, जिन्होंने चुनाव प्रचार में ही खुद को भावी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था, सहित सबके चेहरे लटक गए, जब खट्टर ने दिल्ली दरबार का फरमान इन सब दावेदारों को सुनाया। खुद मोहन यादव अपनी घोषणा से भौचक रह गए और तमाम विधायकों सहित प्रदेशभर के भाजपा नेता, कार्यकर्ता, नौकरशाही और मीडिया भी इस फैसले से अचंभित रह गई। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

दरअसल भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यादव के पक्ष ने माहौल बनाया और केन्द्रीय नेतृत्व को भी मनाया। इतना ही नहीं, उन्होंने दिल्ली बुलाकर यादव से अलग चर्चा भी की। दरअसल नड्डा से मोहन यादव की काफी नजदीकी हैं और उनके बेटे की शादी में भी यादव शामिल हुए थे। जबकि मध्यप्रदेश से चुनिंदा लोगों को ही इसका निमंत्रण मिला था। दूसरी तरफ संघ के एक पदाधिकारी यादव के मददगार साबित हुए, जिसमें उज्जैन में पदस्थ रहे संघ के एक जिम्मेदार की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही और फिर संघ सहमति के बाद मोहन यादव के नाम को तय किया गया। अग्रिबाण ने कल सुबह ही यह स्पष्ट कर दिया था कि विधायकों की रायशुमारी औपचारिकता है और हुआ भी यही। मात्र 15 मिनट में मुख्यमंत्री चयन का एपिसोड निपट गया और शिवराज ने भी राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा और यादव को मुख्यमंत्री राज्यपाल द्वारा भी घोषित कर दिया गया।

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