संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं: अमित शाह

नई दिल्ली: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार में भी आरक्षण का मुद्दा गर्म रहा है. चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले कर्नाटक में बसराज बोम्मई सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाले चार फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया. अब इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने के कोई प्रावधान नहीं है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा कि कर्नाटक में चार फीसदी आरक्षण को हमारी पार्टी ने खत्म कर दिया क्योंकि वो गैर-संवैधानिक था. देश के संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने तुष्टीकरण की अपनी नीति के तहत कर्नाटक में मुस्लिमों को आरक्षम दिया था, जिसने हमने हटा दिया है. हमने आरक्षण के भीतर आरक्षण देने का फैसला बहुत सोच समझकर किया है. इसके लिए हमने कुछ लिमिट भी तय किए हैं. गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस इसे हटाना चाहती है लेकिन एससी के आरक्षण के भीतर जो आरक्षण हैं वो नहीं हटेगा.

‘कांग्रेस किसका आरक्षण कम करेगी ये तो बताए?’
कांग्रेस पार्टी से सवाल करते हुए शाह ने कहा कि अगर वो मुस्लिम आरक्षण को बढ़ाते हुए 4 से 6 फीसदी करना चाहती है तो उसे यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो कम किसका करेंगे. लिंगायत, वोक्कालिगा का कम करेंगे या फिर ओबीसी, एससी या फिर एसटी का?

कांग्रेस का वादा- सत्ता में आए तो बहाल करेंगे आरक्षण
बता दें कि कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया है कि अगर वो सरकार में आती है तो बोम्मई सरकार की ओर से हटाए गए आरक्षण को बहाल करेगी. बोम्मई सरकार ने एक हाइे लेवल मीटिंग करते हुए आरक्षम को लेकर 24 मार्च को एक सरकारी आदेश भी जारी कर दिया था.

कर्नाटक सरकार के आदेश में मुस्लिम को मिलने वाले चार फीसदी आरक्षण को वोक्कालिगा और लिंगायत में 2-2 फीसदी बांट दिया गया है. राज्य में ओबीसी को 32 फिसदी आरक्षण है. इसी में मुस्लिमों के लिए चार फीसदी अलग से आरक्षण मिलने का प्रावधान था.

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