गाजा के इस बदनसीब ने इजराइली हमलों में 103 रिश्तेदारों को खोया

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को उम्मीद है कि 4 मार्च तक इजराइल हमास के बीच युद्धविराम हो जाएगा. युद्धविराम की शर्तों के तहत, गाजा में अस्पतालों की मरम्मत की जाएगी, 500 सहायता ट्रक हर दिन पट्टी में प्रवेश करेंगे. मसौदे में इजराइली-हमास के बंधकों को रिहा करने की भी शर्त रखी गई है और विस्थापित नागरिकों की वापसी भी होगी. लेकिन अहमद- अल- गुफेरी अब अपने घर वापस जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि जंग ने अहमद से उनके परिवार समेत कुल 103 रिशतेदारों को छीन लिया. इनमें मां, बीवी, भाई, बेटी, चाचा-चाची थे. सभी की मौत इजराइल की तरफ से किए गए हमले में हो गई. अहमद कहते हैं कि, “गाजा में मेरा सपना टूट गया, मुझे किसके लिए वापस जाना चाहिए? मुझे पापा कौन कहेगा?”.

जब हमास ने 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमला किया था तो अहमद अल-गुफ़री तेल अवीव के निर्माण स्थल पर काम कर रहे थे. युद्ध की वजह से कई जगहों पर इज़राइल ने नाकाबंदी कर रखी थी, नतीजन वह अपनी पत्नी और तीन बेटियों के पास लौट नहीं पाए. वह उनसे हर दिन एक ही समय पर बात कर पाते थे जब फोन कनेक्शन की अनुमति मिलती थी. 8 दिसंबर को जब उनके घर पर हमला हुआ तो उस वक्त वो फोन पर अपनी पत्नी सिरिन से बात कर रहे थे. उन दोनों के बीच वो आखिरी कॉल थी. शाम में हमला हुआ और उनकी पत्नी के साथ तीन युवा बेटियां- ताला, लाना और नजला की मौत हो गई. अहमद अल-गुफ़री उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि उनकी पत्नी जानती थी कि वो मर जाएगी.

मां, भाइयों, चाची समेत 103 लोग मारे गए
सिर्फ इस हमले ने अहमद को अपनी पत्नी, बच्चे से ही हमेशा के लिए अलग नहीं किया बल्कि इसने अहमद की मां, उसके चार भाइयों और उनके परिवारों के साथ-साथ उसकी दर्जनों चाची, चाचा और चचेरे भाई-बहनों को भी मार डाला. कुल मिलाकर 100 से अधिक. इतने महीनों बाद भी उनके कुछ शव मलबे में फंसे हुए हैं. पिछले हफ्ते, उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी का जन्मदिन मनाया. नजला नाम था और आज अगर वो जिंदा होती तो दो साल की होती. अहमद कहते हैं कि, “मेरी बेटियां मेरे लिए छोटी चिड़िया हैं, मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं सपने में हूं. मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि हमारे साथ क्या हुआ है.”

अहमद को बताया गया कि एक मिसाइल सबसे पहले उनके परिवार के घर के एंट्री गेट पर गिरी थी. उन्होंने कहा, “वे जल्दी से बाहर निकले और पास में मेरे चाचा के घर चले गए.” “पंद्रह मिनट बाद, एक लड़ाकू विमान उस घर से टकराया. जिस चार मंजिला इमारत में परिवार की हत्या की गई, वह गाजा शहर के ज़िटौन इलाके में सहाबा मेडिकल सेंटर के कोने पर स्थित थी. यह अब बिखरे हुए कंक्रीट का एक टीला बन चुका है, जिसके मलबे में हरे रंग का प्लास्टिक का कप, धूल भरे कपड़ों के टुकड़े दबे हैं.

हर 10 मिनट में एक घर पर हो रहा था हमला
अहमद के जीवित बचे रिश्तेदारों में से एक, हामिद अल-गुफ़री ने बीबीसी को बताया कि जब हमले शुरू हुए, तो जो लोग पहाड़ी पर भागो वे तो बच गए लेकिन जिन्होंने घर में शरण ली थी, वे मारे गए. इसराइली फोर्सेस हर 10 मिनट में एक घर पर हमला कर रहे थे. अहमद के एक दूसरे रिश्तेदार का कहना है कि इसराइली फोर्सेस बिनी किसी चेतावनी के हमला किए जा रहे थे. अगर कुछ लोगों ने पहले ही यह क्षेत्र नहीं छोड़ा होता, तो सैकड़ों लोग मारे गए होते.

जेरिको में, अहमद अभी भी कभी-कभी गाजा में अपने जीवित रिश्तेदारों से कॉल पर बात करते हैं लेकिन महीनों तक अपने प्यारे घर से दूर रहने और वापस लौटने के लिए बेताब अब उन्हें यकीन हो चला है कि वो अब कभी नहीं लौट पाएंगे. अहमद कहते हैं कि, “गाजा में मेरा सपना टूट गया, मुझे किसके लिए वापस जाना चाहिए? मुझे पापा कौन कहेगा?”.

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