UN की भविष्यवाणी, अल नीनो के कारण इस साल पड़ेगी भयंकर गर्मी, टूटेगा रिकॉर्ड

नई दिल्‍ली (New Delhi) । इस साल भयंकर गर्मी (Heat) पड़ने वाली है। खुद संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इसकी चेतावनी दी है। यूएन ने शुक्रवार को कहा कि अल नीनो (El Nino) के चलते यह साल रिकॉर्ड तोड़ने वाले 2023 की तुलना में अधिक गर्म हो सकता है। साथ ही इसने जलवायु परिवर्तन (Climate change) से निपटने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि जून और दिसंबर के बीच हर महीने तापमान के नए रिकॉर्ड बने थे। इस साल भी ग्लोबल वार्मिंग के चलते अल नीनो जैसी मौसमी घटनाओं के कारण यही पैटर्न जारी रहने की संभावना है।

अल नीनो क्या है
बता दें कि अल नीनो इफेक्ट एक मौसम संबंधी घटना है। यह स्थिति मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। इस इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं। इसका असर फिर पूरी दुनिया पर भी दिखता है। अल नीनो हर दो से सात साल में होता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते इसकी अवधि बढ़ने लगी है।

यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि तीन में से एक मौका है कि 2024 पिछले साल यानी 2023 से अधिक गर्म होगा। साथ ही इसने कहा 99 प्रतिशत चांस हैं कि 2024 अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा। नासा के जलवायु विज्ञानी और नासा गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के निदेशक गेविन श्मिट ने अनुमान लगाया कि संभावनाएं और भी अधिक हैं।

’50-50 चांस’
उन्होंने एएफपी को बताया, “मैंने इसे लगभग 50-50 चांस पर रखा है। यानी 50 प्रतिशत संभावना है कि यह साल (सबसे) गर्म होगा और 50 प्रतिशत संभावना है कि यह थोड़ा ठंडा होगा।” उन्होंने कहा कि पृथ्वी की जलवायु प्रणालियों में “रहस्यमय” परिवर्तनों के संकेत हैं, फिर भी ऐसा होगा इसकी पुष्टि या खंडन करने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र की WMO मौसम और जलवायु एजेंसी ने कहा कि पिछले साल जुलाई और अगस्त दो सबसे गर्म महीने दर्ज किए गए थे। पिछले साल आधिकारिक तौर पर पुष्टि की गई थी कि 2023 “बड़े अंतर से” रिकॉर्ड सबसे गर्म साल था। इसमें कहा गया है कि 2023 का वार्षिक औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.45 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

अल नीनो 2023 के मध्य में उभरा
2015 के पेरिस जलवायु समझौते का लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से दो डिग्री सेल्सियस से नीचे और अगर संभव हो तो 1.5C तक सीमित करना था। डब्लूएमओ के नए महासचिव सेलेस्टे सौलो ने चेतावनी दी कि अल नीनो 2023 के मध्य में उभरा था और अब इसके 2024 में गर्मी को और भी अधिक बढ़ाने की संभावना है। अल नीनो प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला जलवायु पैटर्न है जो आमतौर पर दुनिया भर में बढ़ती गर्मी से जुड़ा होता है। इसके विकसित होने के बाद आमतौर पर वर्ष में वैश्विक तापमान बढ़ जाता है।

तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त
जलवायु संकट का सबसे स्पष्ट संकेत 2023 में दुनिया भर में आई अभूतपूर्व गर्मी की लहरें हैं। रिकॉर्ड पर पृथ्वी के सबसे गर्म वर्ष ने हमें एक झलक दी कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के साथ एक सामान्य वर्ष कैसा दिख सकता है। पूर्व-औद्योगिक स्तर से लगातार 1.5° सेल्सियस से अधिक ग्लोबल वार्मिंग का पृथ्वी प्रणाली पर अत्यधिक और अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ने की आशंका है। लगभग 77 देशों ने कम से कम 45 वर्षों में अपने उच्चतम औसत वार्षिक तापमान का अनुभव किया। कनाडा से लेकर ब्राजील, स्पेन से लेकर थाइलैंड तक तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। उच्च तापमान के साथ अक्सर हवा में नमी बहुत कम होती है। वैश्विक भूमि सतह की सापेक्ष वायु आर्द्रता 2023 में रिकॉर्ड पर दूसरी सबसे शुष्क थी।

2023 में कई देशों में औसत वार्षिक तापमान रिकॉर्ड किया गया। तीन महाद्वीपों में गंभीर सूखा पड़ा। दुनिया के सबसे बड़े जंगलों को नुकसान हुआ, कनाडा भीषण आग से जूझ रहा है और अमेज़ॅन सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। 2023 रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, विनाशकारी तूफान और बाढ़, भारी सूखे और भीषण जंगल की आग का साल था। इन घटनाओं से पता चला कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक जल चक्र और हमारी आजीविका को कैसे प्रभावित कर रहा है।

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