केंद्रीय मंत्री ने कहा राज्‍यसभा में कहा-ओडिशा के सिमलीपाल अभयारण्य में है 10 काले बाघ

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत में अत्‍यंत दुर्लभ प्रकार का मेलानिस्टिक बाघ ओडिशा के सिमिलीपाल नेशनल पार्क (Melanistic tigers in Similipal National Park, Odisha) में पाया जाता है और इन दिनों इसका वीडियो और तस्‍वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं। दरअसल जे‍नेटिक म्‍यूटेशन (genetic mutation) के कारण इन बाघों का रंग काला हो गया है और ये सामान्‍य से कहीं अलग दिखाई देते हैं. इन्‍हें सबसे पहले 2007 में देखा गया था और तब से इनके संरक्षण के लिए प्रयास जारी हैं।

भारत में कुल 10 काले बाघ मिले हैं और सभी विशेष रूप से ओडिशा के सिमलीपाल में हैं। केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को बताया कि ‘मेलेनिस्टिक’ टाइगर (Melanistic Tigers) केवल ओडिशा के सिमिलिपाल बाघ अभयारण्य में मिले हैं। उन्होंने कहा, अखिल भारतीय बाघ आकलन अभ्यास के 2022 चक्र के अनुसार, सिमलीपाल बाघ अभयारण्य में 16 बाघ हैं, जिनमें से 10 में मेलानिज्म प्रदर्शित होता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिमलीपाल बाघ अभयारण्य को एक विशिष्ट संरक्षण क्लस्टर के रूप में पहचाना गया है। पिछले पांच वर्षों में इसे वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास (सीएसएस-आईडीडब्ल्यूएच) की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत वन्यजीव संरक्षण, आवास प्रबंधन, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 32.75 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली है।


वर्ष 2021 में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), बंगलूरू के इकोलॉजिस्ट उमा रामकृष्णन और उनके छात्र विनय सागर ने एक अध्ययन किया था, जिसमें पाया गया कि शरीर के ऊपर हिस्से के रंग और पैटर्न के कारण बाघ ट्रांसमेम्ब्रेन एमिनोपेप्टिडेज क्यू (Taqpep) जीन में एक उत्परिवर्तन के कारण गहरे रंग के दिखाई देते हैं।

सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में बाघ की आबादी बहुत अलग-थलग
सितंबर 2021 में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में बाघ की आबादी बहुत अलग-थलग है, अन्य बाघों की तुलना में उनके बीच बहुत सीमित जीन प्रवाह होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, बाघों की ऐसी अलग-थलग आबादी विलुप्त होने के लिए अति-संवेदनशील होती है, जो बाघ संरक्षण प्रयासों को प्रभावित करती है।

तमिलनाडु में 10 बाघों की मौत, छह शावक भूख से मरे
राज्यसभा में गुरुवार को तमिलनाडु में एक माह में मरे 10 बाघों का मुद्दा उठा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण- एनटीसीए ने एक समिति का गठन करके भारत के तमिलनाडु में नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में एक माह में 10 बाघों की जांच की है। इसमें 6 शावक भूख से मर गए, दो व्यस्क बाघों की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई है और दो बाघों को जहर दिया गया। इसमें आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बाघों की मौत की जांच और अप्राकृतिक मौतों को रोकने के लिए एक समिति बनाई है। उन्होंने बताया कि 16 अगस्त से 19 सितंबर के बीच तमिलनाडु के नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में काम से कम 10 बाघों की मौत हुई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाघों की मौत चिंता का सबब है और पर्यावरण मंत्रालय इसके लिए गंभीर है।

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