ऑस्ट्रेलिया का वीजा नहीं मिला तो कंपनी ने 10 लाख हड़पे, विदेश यात्रा के नाम पर फर्जीवाड़ा

  • उपभोक्ता आयोग ने जुर्माना ठोंका, अब आवेदक को ब्याज सहित 14 लाख रुपए लौटाएंगे

इंदौर। विदेश यात्रा के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वालों पर अब उपभोक्ता आयोग सख्त हो गया है। इंदौर निवासी परिवार को ऑस्ट्रेलिया का वीजा नहीं मिला तो बुकिंग कैंसिल करने के नाम पर टूरिस्ट कंपनी ने लाखों की जब्ती कर डाली। आयोग ने न्याय दिलाकर मूल राशि व मानसिक त्रास के 14 लाख 23 हजार दिलवाए।

मोहित पिता गोवर्धन आसवानी निवासी सर्वोदय नगर ने बीवी-बच्चों सहित ऑस्ट्रेलिया टूर की प्लानिंग कर थॉमस कुक कंपनी को ऑस्ट्रेलिया घूमने, रुकने और खान-पान सहित होटल की बुकिंग करने की जिम्मेदारी दी। उसके एवज में 10 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान भी कर दिया, लेकिन वीजा नहीं मिलने की सूरत में कंपनी द्वारा आवेदक को पैसे नहीं लौटाए गए। पूर्व में की जा चुकी बुकिंग कैंसिल नहीं करने और उसके एवज में होटल, फ्लाइट और टैक्सी भाड़ा जैसी चीजों के नाम पर भुगतान करने से मना कर दिया गया। उपभोक्ता आयोग की शरण में पहुंचे मोहित को न्याय दिलाया गया। अब कंपनी मूल राशि सहित मानसिक त्रास का भी भुगतान करेगी। जिला उपभोक्ता समिति के मुकेश आमोलिया ने जिला उपभोक्ता आयोग में आवेदक के समर्थन में परिवाद प्रस्तुत किया।

टर्म एंड कंडीशन पढऩे योग्य नहीं
थॉमस कुक कंपनी के प्रबंधक और इंदौर के मैनेजर ने वकील के माध्यम से दलील प्रस्तुत की कि बुकिंग के पहले ही टर्म एंड कंडीशन बता दी गई थी। लिखित में दी गई टर्म एंड कंडीशन के ब्रोसर को सबूत के रूप में पेश किया गया, जिसे नकारते हुए आयोग ने फैसला लिया कि यह सूक्ष्मदर्शी यंत्र से भी पढऩे योग्य नहीं है। इस तरह के कृत्य उपभोक्ताओं को लूटने के लिए किए जाते हैं। कंपनी यह साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं कर पा रही है कि उसने अरेंजमेंट और टैक्सी आवागमन जैसी व्यवस्थाओं के लिए कितना खर्च किया है। आयोग ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि कंपनी पॉलिसी के नाम पर आवेदक के पैसे हड़प नहीं सकती। वहीं आयोग ने इस तरह की रिडक्शन पॉलिसी बनाने को लेकर कहा कि ऐसी पॉलिसियां नहीं बनाई जा सकतीं। यह अनुचित व्यापार व्यवहार को बढ़ावा देती है। वीजा अप्रूव होना या न होना कोई अपराध नहीं है। टूर कंपनी को पूरा पैसा लौटाना होगा।

1 महीने में लौटाएं, नहीं तो 7 प्रतिशत ब्याज लगेगा
आवेदक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आयोग ने निर्देश दिए कि 10 लाख 74 हजार 332 रुपए में से 30 हजार डिडक्शन करके शेष राशि तुरंत अदा की जाए। मानसिक रूप से संत्रास की राशि 20000 और परिवाद के व्यय खर्च के 10000 भी आवेदक को दिए जाएं। यदि कंपनी 30 दिन के अंदर यह पैसा नहीं लौटाती है तो उसे 7 प्रतिशत का ब्याज भी भुगतना होगा।

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