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अयोध्या के राम मंदिर में लगेंगे सिरोही के पिण्डवाड़ा से तराशे गए पत्थर

सिरोही । अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी हैं, उसके कंगूंरों पर राजस्थान के सिरोही जिले के पिण्डवाडा इलाके में तराशे गए पत्थर सजेंगे। पिण्डवाड़ा में 1996 से लेकर 2002 तक करीब 300 ट्रक पत्थर तराश कर अयोध्या भेजे जा चुके हैं। बंसी पहाड़पुर के पत्थरों को सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में ही तराशा गया है और वहीं से ट्रकों में भरकर अयोध्या के कारसेवकपुरम ले जाया गया है। वर्ष 1995 में पिंडवाड़ा में पत्थर तराशने का काम शुरू हुआ था। इसके लिए तीन कार्यशाला लगाई गई थी और 6 साल तक काम चला। तब यहां पर विश्व हिंदू परिषद नेता अशोक सिंघल, चंपत राय और राम बाबू जी ने कार्यशाला का उद्घाटन किया था।

सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा से 25 साल पहले तराशे गए पत्थर भेजने का निर्णय अशोक सिंघल की ओर से किया गया था। वे उस समय विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष और राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रभारी थे। इसमें एक अन्य विहिप पदाधिकारी आचार्य गिरीराज किशोर भी राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल थे। 1995-96 में सिंघल सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा आए थे और पिण्डवाड़ा की सोमपुरा, अजारी की मातेश्वरी और भरत शिल्पकला को पत्थर तराशने का कांटैक्ट दिया था। इसके बाद इन्होंने यहां पत्थर पूजन कर काम शुरू कराया था।

पिण्डवाड़ा, कोजरा और अजारी में राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम शुरू किया गया। इस काम में सैकड़ों मजदूर जुटे। फिर तराशे गए तत्थरों को अयोध्या भेजना शुरू किया था। 2002 तक यहां तराशे पत्थर अयोध्या भेजे जाते रहे। इस दौरान करीब 300 ट्रक पत्थर अयोध्या भेजे गए। यहां तराशे गए पत्थरों में पिलर, छत और दीवार का कार्य किया गया।

अब कहा जा रहा है कि राम मंदिर के मॉडल में बदलाव किया गया है और उसे बड़े स्तर पर बनाया जा रहा है। ऐसे में अब यहां करीब 3 लाख घन फीट पत्थर को तराशा जाएगा और कार्यशाला की शुरुआत होगी। अकेले पिंडवाड़ा से 1996 से 2002 के बीच अब तक 75 हजार घन फीट पत्थर तराश कर भेजा जा चुका है। अब यहां के शिल्पकार और उनके परिजन खुश हैं कि उनकी मेहनत सफल हो गई। जानकार बताते हैं कि यहां के कारीगारों की पत्थर तराशने में महारथ हासिल है। इसी कारण देश में इनकी विशिष्ट पहचान है। राजस्थान की खदानों में बड़े आकार के पत्थर पाए जाते हैं, जिसे एकल स्लैब में उपयोग किया जा सकता है। यानी पत्थर इतना बड़ा होता हैं कि मंदिर के एक स्तंभ को तराशने के लिए पत्थर के एकल स्लैब का उपयोग कर सकते है। यह कभी भी अपना रंग नहीं खोता है। साथ ही इतना मजबूत हैं कि ये एक से दो हजार साल तक चल जाता है। यानी इसका दो हजार साल तक कुछ नहीं बिगड़ता है।

सोमपुरा मार्बल इंडस्ट्री के कार्यशाला संचालक परेशभाई सोमपुरा ने बताया कि अब राम मंदिर का विस्तार हो रहा है। इसके लिए 3 लाख घन फीट पत्थर पिंडवाड़ा में तराशा जाएगा। मंदिर का शिखर व गुंबद भी यहीं से तैयार होंगे। पिलर और बाहर व अंदर के डोम समेत अन्य दीवारों के पत्थरों को भी यहीं तराशा जाएगा। क्वालिटी अच्छी होने से बंशी पहाड़पुर के पत्थर का चयन किया गया है। यह बारीक जेम स्टोन है और इस पर कर्विंग भी बेहतर होती है।

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