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युद्ध के लिए तैयार रहिए… CDS जनरल अनिल चौहान ने रण संवाद में कही ये बड़ी बात

August 26, 2025

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद तीनों सेनाओं ने युद्ध पद्धति में इनोवेशन और रणनीती को लेकर राष्ट्रीय स्तर (National Level) का रण संवाद (Ran Samvad) 2025 आयोजित किया. यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में किया जा रहा है. इस सेमिनार में थल सेना, जल सेना और वायु सेना (Army, Navy and Air Force) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं.

इस मौके पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान (CDS General Anil Chauhan) ने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि यह सेमिनार सिर्फ तकनीक पर ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी आधारित होंगे कि भविष्य में किस तरह की लड़ाइयां होंगी और उनके पीछे के कारणों पर भी ध्यान देगा. मेरी हिसाब से चार मुख्य चीजें हैं. सबसे पहले, देशों और सरकारों में शक्ति का इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ रहा है.


सीडीएस जनरल ने कहा, दूसरा ट्रेंड जो मैं देखता हूं, वो यह है कि युद्ध और शांति के बीच का अंतर मिट गया है. पहले हम घोषित युद्धों के समय में रहते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आधुनिक युद्ध आज एक तरह की की सतत प्रक्रिया बन गया है, जिसे मैं पांच Cs प्रतियोगिता, संकट, सामना , संघर्ष और लड़ाई के रूप में देखता हूं. तीसरी अहम बात है लोगों का महत्व. पहले युद्धों में सिर्फ क्षेत्र और विचारधारा के लिए लोग और सैनिक बलिदान देते थे.

चौथा अहम ट्रेंड जिस पर हम चर्चा कर सकते हैं, वो है जीत के मापदंड और हम जीत को कैसे समझते हैं. पहले जीत के मापदंड शायद सैनिकों और उपकरणों के नुकसान से तय किए जाते थे. उदाहरण के लिए, 1971 में हमने 95,000 पाकिस्तानी सैनिकों को पकड़ा. लेकिन आज के युद्ध में, जीत के नए मापदंड शायद यह हैं कि ऑपरेशन कितनी तेजी और लय के साथ हुए, लंबी दूरी के सटीक हमलों का क्या असर हुआ.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बात करते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था जिससे हमने कई सबक सीखे, इनमें से ज्यादातप पर काम चल रहा है, कुछ को लागू भी किया जा चुका है. यह ऑपरेशन अभी भी जारी है. साथ ही उन्होंने कहा, हम यहां ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने नहीं आए हैं. हम यहां ऑपरेशन सिंदूर के परे की चीज़ों पर चर्चा करने आए हैं. उन्होंने आगे कहा, भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है. हम एक शांति-पसंद राष्ट्र हैं, लेकिन गलत मत समझिए, हम सिर्फ अहिंसावादी नहीं हो सकते. मेरी सोच में बिना शक्ति के शांति सिर्फ एक आदर्शवाद है. मैं एक लैटिन उद्धरण कहना चाहता हूं, जिसका मतलब है अगर आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहिए.

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