
इस बार होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी आज किया जाएगा
इंदौर। हिंदू धर्म में होली (Holi) के त्योहार का बड़ा महत्व है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Poornima) को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है, जबकि अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। ज्योतिर्विदों ने बताया कि होलिका दहन से पहले विधि-विधान से पूजा की जाती है। फिर शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन भद्राकाल में नहीं किया जाता।
उन्होंने बताया कि इस बार होलिका दहन फाल्गुन मास (Phalgun month) की पूर्णिमा, यानी 28 मार्च को किया जाएगा। 29 मार्च को धुलेंडी (Dhulendi) का पर्व मनाया जाएगा। उन्होंनेे बताया कि भद्राकाल के पश्चात ही होलिका पूजन व दहन करना श्रेष्ठ माना गया है। इस बार खास बात यह है कि होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं है, क्योंकि इस बार भद्राकाल दोपहर 1.52 बजे तक ही रहेगा। अत: भद्राकाल के पश्चात ही होलिका पूजन करना व शाम के समय प्रदोषकाल की अवधि में होलिका दहन शुभ फल देने वाला माना गया है। इसके अलावा शुभ मुहूर्त ( Auspicious time) पद्धति के अनुसार सायं 6.37 से रात्रि 9.02 बजे के मध्य होलिका दहन करना श्रेयकर रहेगा।
पर्व पर बन रहे हैं कई खास और दुर्लभ योग
इस बार होली (Holi) पर शनि अपनी राशि में विराजमान रहेंगे, जो शुभ संयोग है। वहीं इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृतसिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। अर्थात् इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ- साथ अमृतसिद्धि योग में मनाई जाएगी। होली पर चंद्रमा कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं तो गुरु और शनि मकर राशि में हैं। वहीं इस दिन शुक्र और सूर्य मीन राशि में विराजमान होंगे। इसके अलावा मंगल और राहू वृषभ राशि में, बुध कुंभ राशि और मोक्ष के कारण केतु वृश्चिक राशि में विराजमान होंगे। उन्होंने बताया कि ग्रहों की इस तरह स्थिति के चलते ध्रुव योग का निर्माण होगा। इसके अलावा दशकों बाद होली पर सूर्य ब्रह्मा और अर्यमा के साक्षी रहेंगे, जो दूसरा दुर्लभ योग है।
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