
भोपाल। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की ताजा ग्रेडिंग ने जिलों के कामकाज की तस्वीर उजागर कर दी है। सिर्फ डिंडौरी जिल ग्रेडिंग में नंबर एक पर है। प्रदेश के भोपाल सहित अन्य जिले फिसड्डी साबित हुए हैं। मतलब डिंडौरी को छोड़ दिया जाए तो बाकी जिलों में मजदूरों को काम, मजदूरी नहीं मिल रही है। पंचायतों में मनरेगा के तहत सारे कामकाज रुक गए हैं। इधर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने फिसड्डी जिले के अधिकारियों को हिदायत देते हुए मनरेगा में सुधार के निर्देश दिए हैं। हालांकि फिसड्डी जिले के अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा योजना पटरी पर है परंतु बजट अभाव के कारण मजदूरों को मजदूरी और काम नहीं मिल पा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा की मासिक ग्रेडिंग में डिंडौरी जिले को ए ग्रेड दिया है। डिंडौरी जिले ने मनरेगा के मापदंडों को पूरा करते हुए समय पर मजदूरों को मजदूरी और काम दिया है।
इस आधार पर तय की गई ग्रेडिंग
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने विभिन्न मापदंडों के तहत 100 अंक रखे थे। जैसे लेबर इंगेजमेंट-20 अंक, समय पर मजदूरों को वेतन-15 अंक, अपूर्ण कार्य-10 अंक, लंबित काम-5 अंक इसके अलावा पानी के कार्य, मटेरियल काम की प्रगति में 10-10 अंक निर्धारित किए गए थे।
ऐसे समझे ग्रेडिंग को
90 या उससे अधिक अंक वाले को ए ग्रेड – बहुत अच्छा
79 से 89 अंक प्राप्त करने वाले को बी ग्रेड -अच्छा
68 से 78 अंक प्राप्त करने वाले को सी ग्रेड – औसत
67 से कम अंक वाले जिले को डी ग्रेड – औसत से कम
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