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एकतरफा तलाक पर बड़ा फैसला, अगर पत्नी इनकार कर रही हो तो कोर्ट के आदेश से ही माना जाएगा तलाक

October 28, 2024

डेस्क: मुस्लिम तलाक (Muslim Divorce) को लेकर मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने अहम फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर पति (Husband) की तरफ से तलाक दिए जाने को पत्नी (Wife) झुठला रही हो, तो अदालत के ज़रिए ही तलाक हो सकता है. इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने तमिलनाडु की शरीयत काउंसिल की तरफ से जारी तलाक सर्टिफिकेट को अवैध करार दिया है. कोर्ट ने दूसरी शादी (Second Marriage) कर चुके पति को यह आदेश भी दिया है कि वह अपनी पहली पत्नी को मुआवजा और गुजारा भत्ता दे.


हाई कोर्ट के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने इस अहम फैसले में यह भी कहा है कि पति अगर दूसरी शादी कर ले तो पहली पत्नी को उसके साथ रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. मुस्लिम पर्सनल लॉ में पुरुषों को एक से अधिक शादी की इजाज़त है. फिर भी इससे पहली पत्नी को मानसिक पीड़ा होती है. इसलिए ‘घरेलू हिंसा कानून’ की धारा 3 के तहत इसे क्रूरता के तौर पर देखा जा सकता है. अगर पहली पत्नी पति के दूसरे विवाह से सहमत नहीं है, तो धारा 12 के तहत वह अलग रहने और पति से भरण-पोषण का खर्च पाने की हकदार है.

जिस मामले में हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है, उसमें दोनों पक्षकारों की शादी 2010 में हुई थी. 2018 में पत्नी ने ‘घरेलू हिंसा कानून’ की धाराओं के तहत शिकायत दर्ज करवाई. जवाब में पति ने दावा किया कि वह महिला को तलाक दे चुका है. मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक के 3 नोटिस ज़रूरी होते हैं. कोर्ट के सामने सिर्फ पहला और दूसरा नोटिस ही पेश किया जा सका.

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