
नई दिल्ली । स्वच्छ भारत मिशन 2.0(Clean India Mission 2.0) के तहत घरों से कूड़ा संग्रहण(Garbage Collection) में एक बड़ी गड़बड़ी(Big mess) सामने आई है। गुरुग्राम और मानेसर सहित राज्य की 87 निकायों पर यह आरोप लगा है कि उन्होंने अधिकारियों की मिलीभगत से पोर्टल पर घरों से 100 फीसदी कूड़ा उठाने का झूठा डेटा अपलोड किया और इसी आधार पर निजी एजेंसियों को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया।
यह चौंकाने वाला खुलासा शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा भेजे गए एक नोटिस में हुआ है। इसने हरियाणा की स्वच्छता व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नियमों के अनुसार निजी एजेंसियों को अपने संसाधनों और कार्य की पूरी जानकारी शहरी स्थानीय निकाय विभाग के स्वच्छता पोर्टल पर अपलोड़ करनी होती है। इसी के आधार पर निकाय के नोडल अधिकारियों द्वारा निजी एजेसियों के बिलों का भुगतान किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य के किसी भी निकाय में सौ फीसदी घरों से कूड़ा एकत्रित नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट के बाद अब पोर्टल पर अपलोड डेटा को पास करके निजी एजेंसियों को भुगतान करने वाले अधिकारियों पर अब सवालिया निशान लग रहा है।
करोड़ों के भुगतान का खेल, ईको ग्रीन से विमलराज तक : गुरुग्राम में जून 2024 से पहले ईको ग्रीन कंपनी द्वारा घरों से कूड़ा एकत्रित किया जाता था, जिसके एवज में निगम की तरफ से इस एजेंसी को हर माह चार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता था। यही एजेंसी फरीदाबाद में भी घरों से कूड़ा उठाने का काम करती थी, लेकिन 14 जून को नगर निगम ने ईको ग्रीन कंपनी के करार को रद्द कर दिया था। इसके बाद यह काम गुरुग्राम में विमलराज एजेंसी को सौंपा गया। वहीं मानेसर नगर निगम में भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। मानेसर निगम में बीते दो साल से घरों से कूड़ा उठाने का काम किसी भी स्थायी एजेंसी को नहीं दिया गया था। ट्रैक्टरों से ही घरों से खानापूर्ति के लिए कूड़ा एकत्रित किया जा रहा था, लेकिन यहां भी निगम अधिकारियों ने मिलीभगत करके मानेसर निगम क्षेत्र में सौ फीसदी घरों से कूड़ा उठाने का काम पोर्टल पर चढ़ाकर एजेंसियों को करोड़ों का भुगतान कर दिया। अब इन भुगतानों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
अच्छी रैकिंग पाने के लिए कर दी बड़ी गड़बड़ी
स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग पाने और निजी एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए नगर निगम अधिकारियों ने पोर्टल पर झूठी रिपोर्ट अपलोड कर दी। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के परिणामों ने नगर निगम के अधिकारियों की इस झूठी रिपोर्ट का खुलासा भी कर दिया। इस मामले को लेकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले को लेकर शहरी स्थानीय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने इस मामले को लेकर कोई जवाब नहीं दिया।
80 करोड़ से अधिक खर्च के बावजूद बदहाली
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के स्वच्छ सर्वेक्षण में गुरुग्राम को 85 फीसदी घरों से कूड़ा एकत्रित करने का डेटा दर्ज किया गया था, जो अपेक्षाकृत बेहतर था। इस दौरान ईको ग्रीन कंपनी द्वारा घरों से कूड़ा उठाने का काम किया जा रहा था। हालांकि 2024 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा गिरकर मात्र 59 फीसदी रह गया है। इसका मतलब है कि एक साल के भीतर 26 फीसदी की भारी गिरावट आई है, जबकि इसी अवधि में शहर की सफाई व्यवस्था पर 80 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए गए।
अधिकारियों और एजेंसी पर कार्रवाई के निर्देश दिए
स्वच्छ सर्वेक्षण में झूठी रिपोर्ट देने वाले लापरवाह अधिकारियों पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने चार्जशीट के आदेश दिए हैं। वहीं, विभाग ने सभी निगम आयुक्तों, सचिवों और जिला निगम आयुक्तों को सख्त कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है। निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि खराब प्रदर्शन करने वाली और गलत जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने वाली एजेंसियों पर भारी जुर्माना लगा कर रिकवरी की जाए।
यह ठेका एजेंसियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि वह अपने कार्यों को ईमानदारी से करें और गलत रिपोर्टिंग से बचें। संबंधित स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत चार्जशीट भी जारी की जाएगी। यह कदम अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा। संबंधित (उप संयुक्त आयुक्त) को 7 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को भेजनी होगी, जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और एजेंसियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए चार्जशीट जारी करने की सिफारिश भी शामिल होगी।
राज्य की छवि और फंडिंग पर मंडराया खतरा : मुख्यालय की तरफ सेदिए गए नोटिस में कहा है कि इस तरह की गलत और भ्रामक रिपोर्टिंग को निदेशालय ने राज्य की छवि को धूमिल करने वाला बताया है। यह धोखाधड़ी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा की स्वच्छता रैंकिंग को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार से मिलने वाली महत्वपूर्ण फंडिंग को भी खतरे में डालने में का काम किया है । यदि राज्य को मिलने वाला फंड प्रभावित होता है, तो भविष्य में स्वच्छता और शहरी विकास परियोजनाओं पर सीधा असर पड़ेगा, जिसका खामियाजा अंत में नागरिकों को भुगतना होगा।
स्थानीय निकाय विभाग ने कड़ा रुख अपनाया
इस गंभीर अनियमितता पर संज्ञान लेते हुए शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अब कड़ा रुख अपनाया है। विभाग ने सभी निगम आयुक्तों, सचिवों और जिला निगम आयुक्तों को सख्त कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है। निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एजेंसियों पर भारी जुर्माना लगा कर रिकवरी की जाए। संबंधित स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत चार्जशीट भी जारी की जाए। यह कदम अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा। संबंधित (उप संयुक्त आयुक्त) को 7 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को भेजनी होगी, जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों और एजेंसियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए चार्जशीट जारी करने की सिफारिश भी शामिल होगी।
प्रदीप दहिया, निगम आयुक्त, गुरुग्राम, ”डेटा अपलोड करने में जो भी लापरवाही बरती गई है, मुख्यालय के निर्देशानुसार संबधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लापरवाही कहां बरती गई है इसकी भी जांच की जाएगी।”
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