
भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकते हैं। क्योंकि बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। राजनीतिक पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने उपचुनाव में बड़ी संख्या में नामांकन दाखिल किया है। 28 सीटों के उपचुनाव के लिए 389 लोग मैंदान में हैं। अगर भाजपा कांग्रेस के नेताओं को इसमें से निकाल दिया जाए तो 333 प्रत्याशी ऐसे हैं जो दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ेंगे। 19 अक्टूबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। उसके बाद बचे उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होगा। लेकिन जो तस्वीर सामने आ रही है वह भाजपा और कांग्रेस के लिए चिंताजनक है।
2018 के उपचुनाव की तुलना में 5 गुना तक महंगा साबित होगा
बता दें कि कल खबर सामने आई थी कि कोविड-19 संकटकाल के कारण हर एक विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव 2018 के उपचुनाव की तुलना में 5 गुना तक महंगा साबित होगा। 28 सीटों के उपचुनाव को लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने राज्य सरकार से 40 करोड़ रुपए की मांग की है। यह राशि सरकार द्वारा चुनाव के लिए बजट में 40 करोड़ की राशि का प्रावधान करने के अतिरिक्त है। दरअसल, उपचुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने सरकार से जो अतिरिक्त राशि की मांग की है, उससे कोरोना के बचाव और जरूरी मटेरियल की खरीद की जानी है। जानकारी के मुताबिक इस बार के उपचुनाव पर हर एक विधानसभा सीट पर करीब पौने 3 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।

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