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गुजरात में फिर परचम लहराएगी BJP! मात देने के लिए ‘शाह’ नीति तैयार

गुजरात: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह 21 अक्टूबर से लगातार 6 दिनों की गुजरात प्रवास पर हैं और विधानसभा चुनाव में भगवा फहराने और जीत सुनिश्चित करने की पटकथा लिख रहे हैं. गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह की ये 6 दिवसीय यात्रा बेहद अहम है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमित शाह ने एक ऐसा मास्टर प्लान तय किया है, जो गुजरात में बीजेपी की जीत को सुनिश्चित करेगा.

पहला प्लान- उम्मीदवारों के चयन में सावधानी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 27, 28 और 29 अक्टूबर को बीजेपी की तरफ से नियुक्त आब्जर्वर सभी विधानसभा सीटों पर कार्यकर्ताओं और लोकल वेल विशर्स का फीड बैक लेंगे. इस फीड बैक के आधार पर ही उम्मीदवारों के चयन में वरीयता दी जाएगी, जबकि नकारात्मक फीड बैक मिलने पर टिकट कटने की संभावना बढ़ जाएगी.

दूसरा प्लान- सत्ता विरोधी लहर को कम करना
जिन विधायकों से ज्यादा नाराजगी है उनके टिकट काट दिए जायेंगे. इसके पीछे तर्क है कि वोट मोदी के नाम पर मिल रहा है न की विधायकों के बदौलत. सूत्र बताते हैं की लगभग 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत विधायकों का टिकट कट सकता है.

तीसरा प्लान- जोन के हिसाब से अलग-अलग रणनीति
चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने गुजरात को चार जोन में बांटा है, जिसमें से 3 जोन की बैठक अमित शाह ले चुके हैं. हर जोन के लिए अलग रणनीति होगी. बीजेपी बूथ जीतो, चुनाव जीतो के फॉर्मूले पर काम करेगी. माइक्रो मैनेजमेंट लेवल पर बीजेपी तैयारी कर रही है.

चौथा प्लान- ब्रांड मोदी को भुनाना
जहां मुकाबला टक्कर का है, वैसे जगहों पर पीएम मोदी की रैली ज्यादा से ज्यादा लगाई जाएगी. गुजरात की ऐसी 60 सीट चुनी गई हैं, जहां मुकाबला कड़ा हो सकता है. दरअसल पीएम मोदी भले ही गुजरात की डे- टू- डे की राजनीति से दूर रहते हों, लेकिन उनका गुजरात की जनता से एक पर्सनल टच आज भी रहता है. लिहाजा एक आम गुजराती मतदाता उनके बातों से सीधा प्रभावित होता है.


पांचवा प्लान- लाभार्थियों का डेटा बेस तैयार करना
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों में ज्यादा वोट मिला था, जहां से उसने अधिक सीटें जीती थी. इसको ध्यान में रखते हुए गृहमंत्री ने ये रणनीति तय की है कि लाभार्थी सबसे ज्यादा गांवों में हैं. इसलिए वहां केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों तक बीजेपी के लोग सीधे पहुंचेंगे. बीजेपी ने तय किया है की पार्टी के कार्यकर्ता केंद्र और राज्य सरकार के लाभार्थियों तक पहुंच कर बताएंगे की प्राप्त सुविधाओं ने आप के जीवन में क्या बदलाव लाया है. पार्टी के सूत्र बताते हैं की यूपी विधानसभा चुनाव में लाभार्थियों ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट दिया था, जिसका सीधा फायदा पार्टी को मिला था. अब गुजरात चुनाव में भी इसको ठीक से अपनाया जाएगा.

छठवां प्लान- प्रवासी लोगों को साधने का मास्टर प्लान
गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां अलग-अलग राज्यों के लोग रोजी रोटी के लिए भारी संख्या में अलग-अलग काम करते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक 15 लाख राजस्थानी गुजरात में रहते हैं, इन्हें साधने के लिए बीजेपी ने राजस्थान के 107 नेताओं की फ़ौज उतार दी है. ठीक वैसे ही उत्तर प्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र के प्रमुख बीजेपी नेताओं की ड्युटी गुजरात विधानसभा चुनाव में लगाई जा रही है. प्रवासी बीजेपी नेताओं की ड्यूटी वहां लगाई जाएगी, जहां उनके राज्यों के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. इसमें ये देखा जायेगा कि किस नेता की बाहरी मतदाताओं के बीच अपील ज्यादा है. इस पर रिसर्च का काम हो चुका है, इन नेताओं की प्रवास वाली जगहों की लिस्ट तैयार की जा रही है.

AAP को लेकर बीजेपी की रणनीति में बदलाव
खास बात ये है कि गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं, बीजेपी पिछली बार 99 सीटों पर सिमट गई थी. पिछली बार बीजेपी की सीधी लड़ाई कांग्रेस से थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री हो चुकी है, इसलिए बीजेपी ने अपनी रणनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं.

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