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दिल्ली की इन सीटों पर अभी तक नहीं जीती बीजेपी, सियासी दलों के लिए चुनौती बनीं कई सीटें

January 20, 2025

नई दिल्‍ली । दिल्ली की राजनीति(Delhi politics) ने कई बार करवट ली है। शुरुआती दौर में दो बड़े दलों(two major parties) के बीच सत्ता का हस्तांतरण(Transfer of power between parties) हुआ तो वहीं एक दशक पहले अस्तित्व में आए राजनीतिक दल आप ने भी सत्ता तक अपनी पहुंच बनाई है। दिल्ली में कई सीटें ऐसी हैं जो राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

अगर भाजपा की बात करें तो 19 सीटों पर उसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। 19 में से छह सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा ने एक बार भी जीत हासिल नहीं की है। वहीं, बीते एक दशक से कांग्रेस शून्य पर है। वर्ष 1992 में देशभर में पैदा हुई राम मंदिर की लहर से भाजपा को संजीवनी मिली और इसका असर 1993 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था।


तिमारपुर, मॉडल टाउन, सदर बाजार, चांदनी चौक, पटेल नगर, मादीपुर, पटपड़गंज, सीमापुरी सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा 1993 के बाद जीत नहीं पाई है। त्रिलोकपुरी में भी भाजपा ने सिर्फ एक बार जीत हासिल की थी। वहीं, सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, बल्लीमारान, जंगपुरा, अंबेडकर नगर सीट पर भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई है।

कांग्रेस के कोर वोटर माने जाने वाले मुस्लिम, अनुसूचित जाति और ब्राह्मण मतदाताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी नहीं जीत सका। सत्ता में रहने के दौरान भी शालीमार बाग, मुंडका, किराड़ी, रिठाला, बुराड़ी, रोहिणी, मटिया महल समेत कई अन्य सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है।

आप के लिए बढ़ी मुश्किलें

‘आप’ के लिए भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिली थीं, वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें और कम हो गई थीं। इस बार ‘आप’ के लिए कांग्रेस की मुखालफत बढ़ी है। ऐसे में माना जा रहा है कि इसका नुकसान भी आप को उठाना पड़ सकता है। अपने 2020 के प्रदर्शन को बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती है।

व्यापारियों को साध रहे

भाजपा के टिकट पर सांसद बने व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल अब उन सीटों पर व्यापारियों को साध रहे हैं जहां उनका दबदबा है। चुनाव से पहले भाजपा सांसद ने चांदनी चौक बाजार में जाकर व्यापारियों की समस्याएं सुनीं और समाधान का भरोसा भी दिया है। चांदनी चौक विधानसभा सीट पर भाजपा 1993 के बाद दोबारा नहीं जीती है। इसके अलावा कई बाजारों में भी भाजपा जनसंपर्क कर रही है।

● 06 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा ने एक बार भी जीत हासिल नहीं की है।

● 10 वर्षों में हुए चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला, इस बार पूरी ताकत झोंकी।

● आप के लिए 2020 का प्रदर्शन दोहराना इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती है।

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