
भोपाल। गुड्स एंड सर्विसेस ट्रैक्स जीएसटी लागू होने के बाद से सरकार भले ही सख्त हो गई हो, लेकिन बोगस फर्म व नियम न पूरे करने वाली फर्में अभी भी मौजूद हैं। प्रदेश में इनकी संख्या में तो कमी आ रही है, पर पूरी तरह रोक भी नहीं लग पा रही है। वहीं फर्मों के नए रजिस्ट्रेशन भी लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले दो सालों की तुलना में प्रदेश में नए रजिस्ट्रेशन 17 प्रतिशत बढ़े हैं। इस साल बोगस फर्मों की संख्या काफी कम आ रही है, इसमें ऐसे कारोबारी भी हैं, जो सीमित समय के लिए ही रजिस्ट्रेशन कराते हैं। बोगस फर्मों पर सर्विलांस करने वाले विभाग के सामने भी इनका डाटा ट्रैक होने के दो माह बाद सामने आता है। तब तक यह फर्म इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर घपला कर चुकी होती हैं।
इसलिए बनती हैं बोगस फर्में
जीएसटी नियमों के तहत एक हजार रुपये में खरीदे गए माल पर बिल में 12 फीसदी की दर से 120 रुपये जीएसटी का आइटीसी लेने वाले के क्रेडिट अकाउंट में क्रेडिट के रूप में जमा रहता है। उदाहरण के लिए खरीदार जब माल को फिर से 1200 रुपए में बेचेगा तो उसे 12 फीसदी की दर से बिल राशि पर जीएसटी रुपए 144 चुकाने होंगे। इसमें से 120 रुपए आइटीसी से शेष 24 रुपए नकद चुकाने होंगे। यहां गड़बड़ी करने वाली फर्में बिना माल सप्लाई किए बिल जारी कर देती हैं और बिना जीएसटी चुकाने सिर्फ बिल के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया जाता है। यहीं बोगस फर्मों को फायदा होता है और सरकार को चपत लगती है।
इनका कहना है
बोगस फर्मों को लेकर विभाग का लगातार सर्विलांस रहता है। अब बोगस फर्म लगातार कम होती जा रहीं हैं,सख्ती भी की जा रही है। नियमों की जानकारी और पालन न करने पर कार्रवाई की जानकारी व्यापारी वर्ग को रहती है और विभाग भी अपने स्तर पर लगातार बताता रहता है।
यूएस बैस, उपायुक्त,एंटी इवेजन, स्टेट जीएसटी
प्रदेश की स्थिति
वर्ष कैंसिल रजिस्ट्रेशन
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