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बजट में किसानों के जख्म पर मलहम के साथ लगेगा बंगाल का चुनावी तड़का

नई दिल्ली. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से लोगों और इंडस्ट्रीज को कई उम्मीदें हैं. सरकार पर भी कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को उबारने का दबाव भी है. हालांकि, किसान आंदोलन और राज्यों में होने वाले चुनाव का असर भी बजट पर पड़ सकता है. पहले से ही किसानों की नाराजगी झेल रही सरकार बजट से किसानों को और नाराज नहीं करना चाहती है. जबकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में चुनाव जीतने की जी-तोड़ कोशिश कर रही केंद्र सरकार में सत्ताधारी भाजपा बजट जैसे मौकों से लोगों को लुभा सकती है. 


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर खपत बढ़ाने के लिए इस बार किसान व खेती पर सरकार को फोकस रह सकता है. इसके लिए क्रॉप डायवर्सिफिकेशन के लिए इंसेंटिव स्कीम पर फोकस हो सकता है. किसानों को सीधे आर्थिक मदद देने की योजना पर काम किया जा सकता है. वैकल्पिक फसल उगाने पर किसानों को इंसेंटिव पर भी विचार किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक वैकल्पिक फसल पर किसानों को 7000 रुपए प्रति एकड़ इनसेंटिव मिलेगा. बुआई पर 2000 रुपए और फसल तैयार होने पर 5000 रुपए इनसेंटिव मिलेगा. कृषि उड़ान स्कीम और पीएम कुसुम स्कीम का विस्तार किया जा सकता है.

नौकरियां : कंपनियां नई नौकरियां देंगी तो मिलेगा इंसेंटिव नौकरियों पर भी अच्छी खबर मिलने की संभावना जताई जा रही है. नई नौकरी देने पर कंपनियों को इंसेंटिव मिलने की संभावना है. कंपनियों पर सोशल सिक्योरिटी का बोझ घटाया जा सकता है. इतना ही नहीं नई भर्तियों पर ESI योगदान से छूट मिलने की संभवाना है. 21,000 रुपए तक सैलरी वाले कर्मचारियों को फायदा मिल सकता है. ESI के जरिए कर्मचारियों को आर्थिक, बीमा लाभ मिलने की संभवाना है.

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