
नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की नीतियों को जिसने भी जीवन में तवज्जों दी वो सफलता के पथ पर अग्रसर रहा है. महान राजनीतिक चाणक्य के विचार आज के दौर में भी प्रासांगिक बने हुए हैं. हर व्यक्ति जीवन में सफलता के साथ मान-सम्मान भी पाना चाहता है. समाज में मान-प्रतिष्ठा बनी रही उसके लिए वो फूंक-फूंक कर कदम रखता है. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में बताया है कि मनुष्य की जिंदगी में एक चीज का डर हमेशा बन रहता है. आइए जानते हैं मानव जीवन का सबसे बड़ा डर क्या है.
सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है- चाणक्य
धन और मान-सम्मान (wealth and prestige) हर इंसान की चाहत होती है. पैसों के लिए तो व्यक्ति कमाई का जरिया ढ़ूंढ लेता है लेकिन मान-सम्मान पाना आसान नहीं है. उससे ज्यादा मुश्किल है अपने सम्मान को बचाए रखना. चाणक्य के अनुसार बदनामी का डर व्यक्ति का सबसे बड़ा भय होता है.
बदनामी एक ऐसी चीज है कि व्यक्ति का कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ती. इसका डर व्यक्ति को अंदर तक कचोटता है जिसके कारण कई बार व्यक्ति खुद को चार दिवारों में कैद कर लेता है ताकि उसे कोई हीन भावना से न देखे. अगर ये दिमाग पर हावी हो जाए तो व्यक्ति मौत के मुंह में भी चला जाता है.
उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर दूध में नींबू के रस की एक बूंद भी मिल जाए तो पूरे दूध को खराब कर देती है. वैसे ही है बदनामी का डर. साफ सुथरी छवि वाले इंसान की जिंदगी में बदनामी का दाग लगाना उसके जीवन को खराब कर देता है.
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