
- अधिकारियों के अचानक निरीक्षण में मचा हड़कंप
जबलपुर। शासन द्वारा सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लाख प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु जमीनी स्तर पर इन दावों का असर दिखाई नहीं दे रहा। इसका ताजा उदाहरण कछपुरा शासकीय स्कूल में सामने आया, जहाँ निरीक्षण के दौरान शिक्षा व्यवस्था की गंभीर लापरवाहियाँ उजागर हुईं। स्कूल में दर्ज कुल 340 विद्यार्थियों में से केवल 129 ही उपस्थित पाए गए। शेष विद्यार्थियों की उपस्थिति संबंधी कोई स्पष्ट जानकारी शिक्षकों द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे छात्र नियमित स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं, यह प्रश्न बना हुआ है। निरीक्षण दल ने इसे शिक्षा स्तर पर चिंताजनक स्थिति बताया।
निरीक्षण के दौरान सबसे बड़ी खामी शिक्षकों की अनुपस्थिति और सूचना न देने की मिली। स्कूल की हेडमास्टर मिथलेश तिवारी चिकित्सा अवकाश पर हैं लेकिन उन्होंने अनुपस्थिति की जानकारी स्कूल प्रबंधन को नहीं दी। इसी प्रकार शिक्षिका सरोज जैन भी अवकाश पर हैं, परंतु उनकी ओर से भी किसी प्रकार की सूचना स्कूल में उपलब्ध नहीं था। एक अन्य शिक्षिका कामिनी नेमा स्ढ्ढक्र सर्वे में लगी हुई हैं, लेकिन यह जानकारी भी विद्यालय प्रशासन तक नहीं पहुंचाई गई। तीन शिक्षकों की अनुपस्थिति और सूचना के अभाव से स्कूल का संचालन पूरी तरह प्रभावित हुआ है। सबसे चिंताजनक स्थिति अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को लेकर सामने आई। सोमवार से परीक्षाएं शुरू होना तय थीं, किंतु निरीक्षण में पाया गया कि परीक्षा सामग्री जैसे प्रश्नपत्र, उत्तरपुस्तिकाएँ और रजिस्टर सभी अलमारी में बंद थे। अलमारी की चाबी अवकाश पर गए शिक्षकों के पास थी, जिससे परीक्षा आयोजन असंभव हो गया। इस गंभीर लापरवाही को निरीक्षण दल ने प्रशासनिक चूक माना है। 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर भी स्थिति ठीक नहीं पाई गई। इन कक्षाओं के कई विद्यार्थी स्कूल नहीं आ रहे हैं और उनकी उपस्थिति, तैयारी और अध्ययन स्थिति की जानकारी भी स्कूल में उपलब्ध नहीं थी। इससे स्पष्ट हुआ कि इन महत्वपूर्ण बोर्ड कक्षाओं की तैयारी भी अधूरी है। निरीक्षण दल ने अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षकों की अनियमितता, रिकॉर्ड का अभाव और परीक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी सीधे तौर पर विद्यार्थियों के भविष्य को प्रभावित कर सकती है।