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वेंटिलेटर पर शहर का ट्रैफिक !

November 18, 2025

  • मुख्य बाजारों में हालात बदतर, कब्जों और पार्किंग से सड़कें सकरी, ई-रिक्शा की मनमानी से शहरवासी परेशान

जबलपुर। शहर का ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह चरमरा चुका है। मिलौनीगंज से मालवीय चौक और उसके आसपास लगभग एक किलोमीटर का इलाका दिनों से वेंटिलेटर पर है। सड़कें कब्ज़ों में दबी हैं, ई-रिक्शा मनमानी कर रहे हैं, पार्किंग अव्यवस्थित है और प्रशासन केवल कागजों में सक्रिय दिखता है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कोई गंभीर मरीज आधा किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचने की कोशिश करे तो उसके समय पर पहुंचने से पहले श्मशान पहुंचने का डर ज्यादा होता है। शहरवासी कह रहे हैं कि इतिहास में शहर की इतनी बदतर हालत कभी नहीं देखी गई।

मिलौनीगंज-मालवीय तक रेंगता ट्रैफिक
इस क्षेत्र का हाल सबसे गंभीर है। सड़क का आधा हिस्सा दुकानों, ठेलों और अवैध पार्किंग की वजह से गायब है। बाकी बची जगह पर कारें, ऑटो और ई-रिक्शा एक साथ फंस जाते हैं। व्यापारी बताते हैं कि यहां एम्बुलेंस का निकल जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। कई बार मरीजों की हालत बिगडऩे पर लोग खुद रास्ता साफ करने में लग जाते हैं, लेकिन समस्या इतनी गहरी है कि कोई प्रयास भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता।


गंजीपुरा-घमंडी चौक के हालात बदतर
इस मार्ग पर सुबह और शाम के समय स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर होती है। ई-रिक्शा मनचाहे स्थान पर रुक जाते हैं, निजी वाहन सड़क पर ही खड़े कर दिए जाते हैं और पैदल यात्रियों के लिए भी रास्ता नहीं बचता। दुकानदारों और स्थानीय लोगों को कई बार खुद सड़क पर उतरकर जाम खुलवाने की कोशिश करनी पड़ती है क्योंकि ट्रैफिक पुलिस का वहां मिलना आजकल बहुत दुर्लभ हो गया है।

मछरहाई से भार्गव चौक
इस इलाके में सड़क के दोनों तरफ अवैध पार्किंग और फुटपाथ पर दुकानों के फैलाव ने स्थिति और बिगाड़ दी है। सड़क एक लेन तक सिकुड़ चुकी है। पुलिस रोज आती है, फोटो खींचती है, कुछ गाडिय़ों को हटवाती है और फिर चली जाती है। कुछ ही घंटों में हालात फिर वैसे ही हो जाते हैं। व्यापारियों का कहना है कि स्थिति दिन-ब-दिन बदतर हो रही है और कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा।

टैफिक सिगनल और कैमरे बंद
चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल बंद हैं, सीसीटीवी कैमरे कार्यरत नहीं और रात में स्ट्रीट लाइटें भी खराब रहती हैं। इस अव्यवस्था ने दुर्घटनाओं का खतरा और लोगों की परेशानी दोनों बढ़ा दी हैं।

वाहनों की संख्या लगातार बढ़ी और ट्रैफिक पुलिस घटी
पिछले दस वर्षों में जबलपुर में वाहनों की संख्या दोगुनी हो चुकी है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की संख्या में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर स्थायी जवान तक तैनात नहीं हैं, जिससे जाम की स्थिति में हालात बिगड़ते चले जाते हैं। प्रशासन के पास संसाधन कम हैं, लेकिन समस्या उससे कहीं ज्यादा गंभीर हो चुकी है।

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूटा
लोग लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो और फोटो पोस्ट कर रहे हैं, जिनमें साफ दिखता है कि सड़कें कब्ज़ों से भरी हैं। ई-रिक्शा नियम तोड़ते हैं, और वाहन चालक जहां जगह मिले वहीं पार्क कर देते हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता है, असली सुधार कहीं नजर नहीं आता।

प्रशासन बेजान, जनता त्रस्त
जब शहर को सबसे ज्यादा नेतृत्व और प्रशासनिक सक्रियता की जरूरत थी, तभी जनप्रतिनिधि कहीं नहीं दिख रहे। विधायक साहित्य लिख रहे हैं, पूर्व विधायक टिप्पणी दे रहे हैं और अधिकारी फोटो सेशन तक सीमित हैं। शहर की वास्तविक समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं है।

सख्त ट्रैफिक प्लान की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जबलपुर को बचाना है तो तुरंत कदम उठाए जाने होंगे। अतिक्रमण हटाने की निरंतर कार्रवाई, ई-रिक्शा रूट तय करना, पार्किंग ज़ोन स्थापित करना, अधूरे कामों को समयसीमा में पूरा करना और मुख्य चौराहों पर स्थायी जवानों की तैनाती बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले महीनों में शहर की ट्रैफिक स्थिति और अधिक खतरनाक हो सकती है। शहरवासी साफ कह रहे हैं कि उन्हें अब दिखावटी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक मजबूत और प्रभावी ट्रैफिक व्यवस्था चाहिए।

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