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सडक़ें बनाने में फिसड्डी निगम, पुल बनाने में भी फेल

August 12, 2025

  • हाथीपाला पुल 7 साल में जैसे-तैसे बन पाया, काम अधूरा
  • कुमेड़ी में एमआर 10 को जोडऩे वाले पुल का काम भी उलझा
  • तुलसी नगर और कुलकर्णी का भट््टा पुल भी वर्षों में बना
  • टेक्निकल इंजीनियर के बजाए उपयंत्री के जिम्मे सारा काम

इंदौर। इस शहर में विकास और फ्लायओवर बनाने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन एक सड़क़ बनाने के लिए पसीने छूट जाते हैं और सडक़ सालों साल में जैसे-तैसे बनती है तो उस पर गड्््डे नजर आने लगते हैं। बीते पांच सालों में नगर निगम ने कई बड़े पुलों का काम शुरू कराए थे, लेकिन एक भी पुल समय पर बनना तो दूर कई तक उलझे हुए हैं। इसमें सबसे बड़ा फाल्ट यह बताया जा रहा है कि टेक्निकल इंजीनियरों के बजाए अफसर, सहायक यंत्री और उपयंत्री के भरोसे ही सारे कामकाज छोड़ देते हैं और इसी के चलते मालवा मिल पुल जैसी घटनाएं होती हैं।


नगर निगम में पुल बनाने के लिए एक अलग से प्रकोष्ठ बनाया गया है, जहां कई इंजीनियरों के साथ-साथ एक बड़े अधिकारी की तैनाती रहती है और शहर के सारे पुल-पुलियाओं का मेन्टेनेंस करने के साथ-साथ यही विभाग नए पुलों का निर्माण अन्य विभागों के साथ मिलकर करता है। करीब 10 से 12 कर्मचारियों और बाबुओं का स्टाफ इस कार्यालय में है, लेकिन कई बार यह कार्यालय सहायक यंत्रियों के भरोसे ही चलता रहा है। इससे पहले नगर निगम ने हाथीपाला से पुरानी लोहा मंडी को जोडऩे वाले का काम शुरू कराया था तो पुल के पुराने स्ट्रक्चर को तोडऩे और नर्मदा लाइनें शिफ्ट करने में 6 महीने लग गए। जैसे-तैसे पुल का काम शुरू हो पाया तो पुल को तैयार होने में वर्षो लग गए। 7 साल में भी पुल पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया और अभी भी वहां कई हिस्सों में काम बाकी है। इसी प्रकार कुलकर्णी भट्टा और तुलसी नगर के पुल का काम निगम ने शुरू तो कराया है,लेकिन हर बार नई बाधाओं के चलते मामले उलझते रहे और यह पुल भी वर्षों में तैयार हुए। इसी प्रकार कुमेड़ी में आकाश नमकीन से एमआर 10 और गोल्ड सिटी को जोडऩे वाले पुल का काम अभी भी धीमी गति से चल ही रहा है। इसके अलावा कई वार्डों में पुल-पुलियाओं के काम भी तीन से चार सालों तक जैसे-तैसे पूरे हो पा रहे हैं।

मालवा मिल पुल, तीन अफसर बदले
मालवा मिल से पाटनीपुरा जाने वाले पुल को लेकर सबसे पहले पुल प्रकोष्ठ के पूर्व कार्यपालन यंत्री अनूप गोयल ने इसका प्रस्ताव तैयार कराया था और उसी दौरान उनका तबादला हो गया था। इसके बाद जिम्मेदारी अधिकारी शांतिलाल यादव को दी गई थी और सात-आठ महीने के अंतराल में ही उनका तबादला कर उनके स्थान पर ग्वालियर से आए कृष्णकांत काटे को जिम्मेदारी दी गई। अफसर बदलते रहे और पुल निर्माण कार्य उलझते रहे।

मालवा मिल पुल को लेकर गुस्साए दुकानदारों ने घेरा अपर आयुक्त को
मालवा मिल से पाटनीपुरा जाने वाले पुल से गिरकर वाहन चालक की मौत होने के बाद दुकानदार से लेकर आसपास के रहवासी भी भडक़ गए थे, क्योंकि वे भी महीनों से पुल बंद होने के कारण खामियाजा भुगत रहे हैं। आसपास की गलियों से दोपहिया वाहन चालकों ने वैकल्पिक मार्ग बना रखे हैं, जिसके चलते रोज बस्तियों मे ंझगड़े होते हैं। मुख्य मार्ग बंद होने के चलते कब्जों के कारण वैकल्पिक मार्गों पर जाम लग रहा है। कल शाम को अपर आयुक्त नरेन्द्र पाण्डे जब वहां निरीक्षण करने पहुंचे थे तो आसपास के गुस्साए दुकानदारों ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि आखिर कितनी जान लेने के बाद यह पुल तैयार हो पाएगा।
हादसे को लेकर आज बनेगी जांच कमेटी
मालवा मिल से पाटनीपुरा जाने वाले पुल का काम कई दिनों से धीमी गति से चल रहा था और उसको लेकर दो बार क्षेत्र के व्यापारी मोर्चा संभाल चुके थे। निर्माणाधीन पुल के आसपास बैरिकेडिंग नहीं होने के चलते वाहन चालक वहां जा गिरा और उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुल का निर्माण कर रही कंपनी पर लापरवाही से कार्य करने की शिकायतें हैं, जिसके चलते निगम द्वारा आज मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी।

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