
नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ (Indraprastha) रखने की मांग की गई है। पुरानी दिल्ली स्टेशन का नाम ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ तो इंदिरा गांधी हवाई अड्डे का नाम ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ रखने की मांग है। ये मांग चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल (BJP MP Praveen Khandelwal) ने की हैं। उन्होंने इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को एक पत्र भी लिखा है। खंडेलवाल का कहना है कि भारत की राजधानी दिल्ली को उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत स्वरूप से जोड़ते हुए ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम दिया जाए। दिल्ली का इतिहास केवल हजारों वर्षों पुराना नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता की आत्मा और पांडवों द्वारा बसाए गए ‘इंद्रप्रस्थ’ नगर की जीवंत परंपरा का प्रतीक है। शनिवार को दिल्ली का स्थापना दिवस है। 1 नवंबर 1956 को दिल्ली को राज्य पुनर्गठन क़ानून के ज़रिए केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था।
खंडेलवाल ने अमित शाह से यह भी आग्रह किया है कि पुरानी दिल्ली रेलवे और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलने के साथ ही दिल्ली में किसी एक प्रमुख स्थान पर पांडवों की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाएं। दिल्ली को इंद्रप्रस्थ के रूप में पांडवों ने ही अपनी राजधानी बनाया था। भाजपा सांसद ने अपने पत्र की प्रति दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू तथा केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भेजी है।
खंडेलवाल ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि महाभारत काल में यहीं पर पांडवों ने अपनी राजधानी ‘इंद्रप्रस्थ’ बसाई थी, जो अपने समय की सबसे समृद्ध, सुंदर और संगठित नगरी थी। यह वही भूमि है जहाँ से धर्म, नीति और लोककल्याण के सिद्धांतों पर आधारित शासन की शुरुआत हुई थी। दिल्ली केवल एक आधुनिक महानगर नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता की आत्मा है। उसका वास्तविक नाम इंद्रप्रस्थ हमारी ऐतिहासिक पहचान, सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है।
खंडेलवाल के मुताबिक, जब देश के अन्य ऐतिहासिक शहर जैसे प्रयागराज, अयोध्या, उज्जैन, वाराणसी आदि अपनी प्राचीन पहचान से पुनः जुड़ रहे हैं, तब दिल्ली को भी उसके मूल स्वरूप “इंद्रप्रस्थ” के रूप में सम्मान मिलना चाहिए। यह परिवर्तन न केवल ऐतिहासिक न्याय है, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा। दिल्ली का नाम बदलकर “इंद्रप्रस्थ” करने से इतिहास का पुनर्स्थापन होगा। भारत की राजधानी का प्राचीन नाम “इंद्रप्रस्थ” है। इसे पुनः अपनाना ऐतिहासिक न्याय और सांस्कृतिक सम्मान है। इससे सांस्कृतिक आत्मगौरव में वृद्धि होगी। इंद्रप्रस्थ नाम भारत की सभ्यता, नीति और धर्मनिष्ठ शासन की भावना को दर्शाता है, जो आधुनिक भारत की आत्मा से मेल खाता है।
खंडेलवाल ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांस्कृतिक नवजागरण के विज़न के अनुरूप: देश अयोध्या, काशी और प्रयागराज की तरह अपने प्राचीन नगरों को पुनर्जीवित कर रहा है तो दिल्ली क्यों नहीं। खंडेलवाल ने यह भी आग्रह किया कि दिल्ली के किसी प्रमुख स्थल पर पांडवों की भव्य प्रतिमाएँ स्थापित की जाएँ जो हमारे राष्ट्रीय चरित्र, त्याग, साहस, न्याय और धर्मपरायणता के प्रतीक हैं। इंद्रप्रस्थ की पावन भूमि पर पांडवों की प्रतिमाएँ स्थापित करना भारत के इतिहास, संस्कृति और आस्था को जीवंत करने का कार्य होगा। यह पांडवों की नीति, धर्म, साहस और न्यायप्रियता के प्रतीक के रूप में नई पीढ़ी को भारत की गौरवशाली परंपरा से जोड़ेगी।
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