इस्लामाबाद। दुबई (Dubai) का पाकिस्तान(Pakistan) की तमाम साजिशों के बावजूद कश्मीर में निवेश (investing in Kashmir) का ऐलान करना. इस्लामिक सहयोग संगठन (organization of islamic cooperation) के एक देश का इस तरह कश्मीर(Kashmir) को लेकर कदम उठाना पाकिस्तान से बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
भारत(India) में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित (Abdul Basit, Ambassador of Pakistan) ने दुबई के इस फैसले को भारत की जीत माना है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए दुबई सरकार का समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करना भारत के लिए एक बड़ी सफलता है. जबकि, इमरान खान की विदेश नीति को बड़ा झटका है.
जम्मू और कश्मीर में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और उद्योग बढ़ाने के लिए श्रीनगर के राजभवन में केंद्र शासित प्रदेश और दुबई सरकार के बीच सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. अब्दुल बासित भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके हैं. उन्हें पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिकों में से एक गिना जाता है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी दूतावास में कई बार कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को भी निमंत्रित किया था.
द न्यूज इंटरनेशनल समाचार पत्र ने उनके हवाले से कहा कि अतीत में उन्होंने (ओआईसी सदस्य देशों ने) ऐसा कुछ नहीं किया था कि पाकिस्तान को लगता कि मुस्लिम देश और ओआईसी कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ नहीं खड़े हैं. वे बहुत मुखर नहीं हो सकते हैं, लेकिन कश्मीर पर हमारी भावनाओं के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि समाधान तलाशने की कोशिश होनी चहिए. लेकिन क्या यह स्वीकार्य है कि हर चीज एकतरफा हो और भारत के लिए मैदान खाली कर दिया जाए. अब, स्थिति यह है कि मुस्लिम राष्ट्र भारत के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. Share: