
वाशिंगटन। अमेरिका (America) में एच-1बी वीजा (H-1B Visa) को लेकर चल रही चर्चा के बीच एलन मस्क (Elon Musk.) के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। मस्क ने दावा किया कि अमेरिका (America) में कठिन शारीरिक श्रम करने वाले लोगों की भारी किल्लत है। उनके अनुसार, अमेरिकी नागरिक अक्सर ऐसी नौकरियों के लिए ट्रेनिंग लेने से कतराते हैं। यह टिप्पणी फोर्ड के सीईओ जिम फार्ले (Ford CEO Jim Farley की हालिया चेतावनी के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने बताया कि कंपनी को 5000 मैकेनिक पद भरने में मुश्किल हो रही है, जहां सालाना सैलरी 120000 डॉलर है।
मस्क ने आखिर कहा क्या?
मस्क ने टिप्पणी की कि अमेरिकी भारी शारीरिक मेहनत के लिए तैयार ही नहीं हैं। टेस्ला के बॉस ने एक्स पर पोस्ट किया कि अमेरिका में चुनौतीपूर्ण शारीरिक काम करने वाले या इसके लिए ट्रेनिंग लेने वालों की बड़ी कमी है। सोशल मीडिया पर मस्क की इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना हो रही है। यूजर्स का कहना है कि यह अमेरिकियों को कमतर आंकने वाली पुरानी सोच का नमूना है। वे इसे उन सीईओ की मानसिकता से जोड़ रहे हैं, जिन्होंने पहले सफेदपोश नौकरियां छीन लीं, यह कहकर कि अमेरिकियों में एसटीईएम स्किल्स की कमी है। अब वे इसी तर्क को शारीरिक श्रम पर थोप रहे हैं, जिससे अमेरिकियों को अपमानित महसूस हो रहा है।
एच-1बी वीजा विवाद पर क्या बोले थे ट्रंप?
हाल ही में दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को विदेशी विशेषज्ञों की जरूरत है, इसलिए उनका प्रशासन एच-1बी वीजा कार्यक्रम को खत्म नहीं करेगा। उन्होंने दक्षिण कोरिया के बैटरी वर्कर्स पर हाल के छापों का हवाला देते हुए जोर दिया कि ऐसे कामों के लिए विशेषज्ञता चाहिए, जो फिलहाल अमेरिकी कर्मचारियों में नहीं है। ट्रंप के इस बयान से एच-1बी वीजा पर नया विवाद भड़क गया है, क्योंकि उनका प्रशासन विदेशी मजदूरों के प्रति अपनी नीति में असमंजस दिखा रहा है।
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