
नई दिल्ली । अभी हाल ही में तालिबान(Taliban) शासित अफगानिस्तान (Afghanistan)के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी(Foreign Minister Amir Khan Muttaqi) एक हफ्ते के भारत दौरे(India tour) पर थे। उनकी यात्रा के दौरान की गई घोषणा के बाद, सरकार ने मंगलवार को काबुल में अपने दूतावास को फिर से बहाल कर दिया है। इसके साथ ही भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को राजनीतिक मान्यता देते हुए तत्काल प्रभाव से तकनीती मिशन का दर्जा बढ़ाकर उसे दूतावास बनाने की घोषणा की है।
दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के अनुसार, भारत काबुल में राजदूत की नियुक्ति से पहले वहां स्थित मिशन के प्रमुख को चार्ज डी’अफेयर्स नियुक्त करेगा, जबकि तालिबान द्वारा नवंबर तक दो राजनयिकों को नई दिल्ली भेजने की उम्मीद है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार रात को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की पिछले सप्ताह की भारत यात्रा के दौरान लिए गए निर्णय के अनुरूप सरकार तत्काल प्रभाव से काबुल स्थित भारतीय तकनीकी मिशन का दूतावास का दर्जा बहाल कर रही है। यह निर्णय पारस्परिक हित के सभी क्षेत्रों में अफगानिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के भारत के संकल्प को रेखांकित करता है।
पिछले हफ्ते विदेश मंत्री जयशंकर ने की थी घोषणा
काबुल स्थित भारतीय दूतावास अफगान समाज की प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप, अफगानिस्तान के व्यापक विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण पहलों में भारत के योगदान को और बढ़ाएगा। बता दें कि अफगानी विदेश मंत्री आमिर खान मुक्तकी की विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ पिछले सप्ताह हुई मुलाकात के दौरान जयशंकर ने घोषणा की थी कि भारत अफगानिस्तान स्थित अपने तकनीकी मिशन को जल्द ही दूतावास का दर्जा देगा।
अगस्त 2021 में काबुल दूतावास बंद कर दिया गया था
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने अगस्त 2021 में अपना काबुल दूतावास बंद कर दिया था, लेकिन काबुल से सुरक्षा आश्वासन मिलने के बाद, मानवीय सहायता की निगरानी के लिए जून 2022 में वहां एक तकनीकी मिशन फिर से खोल दिया गया था। अब उस मिशन को दूतावास का दर्जा दे दिया गया है।
पाकिस्तान को लगी है मिर्ची
तालिबान मुत्ताकी की यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों में एक नए चरण की शुरुआत के रूप में देखता है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, साथ ही “क्षेत्रीय देशों” से उत्पन्न आतंकवाद की निंदा की है। यह परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा है। जम्मू-कश्मीर पर भारत की संप्रभुता के लिए तालिबान के समर्थन से इस्लामाबाद नाराज हो गया है, जिसने काबुल के सामने औपचारिक विरोध दर्ज कराया है।
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