
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने 1975 में आपातकाल के दौरान जब्त की गई संपत्ति के एवज में मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने 26 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।
यह याचिका 94 साल की वीरा सरीन के बेटे-बेटियों ने दायर की है। वीरा सरीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1975 में इंदिरा गांधी सरकार की तरफ से लागू आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। याचिका में कस्तूरबा गांधी मार्ग की एक संपत्ति से जुड़ा है, जिसे केंद्र सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। याचिका में कहा गया है कि जुलाई 1975 में कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट के तहत गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया था। याचिकाकर्ताओं के पिता को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनकी आय का स्रोत बताने और कस्तूरबा गांधी मार्ग की संपत्ति कैसे हासिल की गई, इसके बारे में पूछा गया था। कारण बताओ नोटिस का याचिकाकर्ताओं के पिता ने जवाब दिया लेकिन उसके बावजूद उनकी कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित संपत्ति को जब्त करने से पहले उस संपत्ति को केंद्र सरकार कई बार लीज पर दे चुकी थी। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के मां और पिता ने कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी और आखिरकार 2016 में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार 1999 से लेकर 2020 तक की उसकी संपत्ति का बाजार मूल्य के हिसाब से 2,20,70,954 रुपये का मुआवजा दे।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved