
नई दिल्ली । यूरोपीय राजनयिकों(European diplomats) ने इस हफ्ते मॉस्को में क्रेमलिन(The Kremlin in Moscow) को सख्त चेतावनी(Strict warning) दी है कि यदि रूस ने नाटो सदस्य देशों की वायु सीमा का उल्लंघन दोहराया तो उसे “पूरी ताकत से” जवाब दिया जाएगा, जिसमें रूसी विमानों को मार गिराना भी शामिल है। यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब एस्टोनिया के ऊपर रूसी MiG-31 लड़ाकू विमानों के घुसपैठ की घटना ने तनाव को और बढ़ा दिया है। रूस ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनके विमान एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में नहीं घुसे और वे नाटो को परखने की कोशिश नहीं कर रहे।
मॉस्को में तनावपूर्ण वार्ता
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजदूतों ने मास्को में हुई बैठक में रूस पर आरोप लगाया कि एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में प्रवेश सोची-समझी रणनीति थी। हालांकि, रूसी अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनकी उड़ानें अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत होती हैं। साथ ही, पोलैंड में ड्रोन के प्रवेश को उन्होंने “तकनीकी त्रुटि” बताया। बैठक के दौरान यूरोपीय अधिकारियों ने महसूस किया कि रूसी प्रतिनिधि पूरे घटनाक्रम का विस्तृत ब्यौरा अपने शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाने के लिए नोट्स ले रहे थे।
मॉस्को में हुई बैठक के विवरण से पता चलता है कि पुतिन को पूर्वी यूरोप के ऊपर रूसी जेट और ड्रोन की उड़ानों के बारे में अब तक की सबसे कड़ी चेतावनी दी गई है। यह दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की कगार पर पहुंचने की स्थिति को दर्शाता है। बैठक के दौरान, एक रूसी राजनयिक ने यूरोपीय प्रतिनिधियों से कहा कि ये घुसपैठें क्रीमिया पर यूक्रेनी हमलों का जवाब हैं। क्रेमलिन का दावा है कि ये हमले नाटो के समर्थन के बिना संभव नहीं थे, और इसलिए रूस का मानना है कि वह पहले से ही यूरोपीय देशों सहित एक टकराव में उलझा हुआ है।
नाटो की चिंता और कड़ा रुख
नाटो के पूर्वी सदस्य देशों को इस महीने कई उल्लंघनों का सामना करना पड़ा है, जिन्हें वे अपनी एकता और संकल्प की परीक्षा मान रहे हैं। ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि वह अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा के लिए “मजबूती से तैयार” है। जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने भी फ्रांस, ब्रिटेन और पोलैंड के साथ समन्वय कर “सभी आवश्यक कदम उठाने” की बात कही।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हालांकि स्पष्ट नहीं किया कि आगे की प्रतिक्रिया कैसी होगी, लेकिन संकेत दिए कि विकल्प खुले रखे गए हैं। वहीं, डेनमार्क ने भी संभावित रूसी भूमिका की जांच शुरू कर दी है, जिसके तहत ड्रोन हमलों से हवाई यातायात प्रभावित हुआ था।
रूस की प्रतिक्रिया और खतरे की घंटी
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूसी सैन्य उड़ानें नियमों के अनुसार हैं और नाटो को “बेकार का विवाद” नहीं खड़ा करना चाहिए। लेकिन एक रूसी राजनयिक ने यूरोपीय टीम से कहा कि ये घुसपैठें यूक्रेन द्वारा क्रीमिया पर किए गए हमलों का जवाब हैं, और रूस इन्हें नाटो की मदद से संभव मानता है। रूस के राजदूत अलेक्सी मेशकोव ने फ्रांसीसी रेडियो पर कहा, “यदि नाटो किसी रूसी विमान को गिराता है तो इसका मतलब होगा- युद्ध।”
ट्रंप और यूरोपीय नेताओं की राय में अंतर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह कहा कि यूक्रेन को यूरोपीय संघ के सहयोग से अपना कब्जा खोया हुआ क्षेत्र वापस लेना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी भूमिका को केवल हथियार बेचने और सहयोगियों को युद्ध सामग्री पहुंचाने तक सीमित बताया। नाटो में भी इस मुद्दे पर मतभेद साफ हैं। पोलैंड और नीदरलैंड जैसे देश रूसी विमानों को गिराने के पक्ष में हैं, जबकि जर्मनी और इटली जैसे देश “उत्तेजना में फंसने” से बचने की सलाह दे रहे हैं।
हाइब्रिड युद्ध की आशंका
लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने कहा, “रूस हमारी तैयारी और प्रतिक्रिया का परीक्षण कर रहा है। तेज और एकजुट जवाब देना बेहद जरूरी है।” विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस पारंपरिक हमले के बजाय “हाइब्रिड युद्ध” के जरिए नाटो देशों की एकता को तोड़ने और भय पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
पूर्वी यूरोप की व्यावहारिक चुनौतियां
रोमानिया ने हाल ही में एक रूसी ड्रोन को 50 मिनट तक अपनी सीमा में उड़ते देखा। हालांकि, उसे गिराने का फैसला नहीं लिया गया क्योंकि मलबे से नुकसान का खतरा था। इस निर्णय की आलोचना भी हुई और रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति त्रायन बेस्सेस्कू ने कहा कि “विश्वसनीयता तभी बनती है जब आप अपनी सीमा की सुरक्षा करने में सक्षम दिखें।” रोमानिया ने अब हवाई सुरक्षा के लिए नए नियम मंजूर किए हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम और साइबर नियंत्रण जैसी तकनीक की भारी कमी है।
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