img-fluid

गिरते रुपये ने बढ़ाई सभी की चिंता… डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा

December 19, 2025

नई दिल्ली। भारतीय रुपया (Indian Rupee) इन दिनों अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है और डॉलर (Dollar) के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है। दिसंबर 2025 में रुपया पहली बार 91 के पार जाकर रिकॉर्ड निचला स्तर (Rupee Crosses 91 record low first time) छू चुका है, जिससे अर्थव्यवस्था, निवेशक और आम लोग चिंतित हैं। विदेशी निवेशक भारत से अपने निवेश वापस ले रहे हैं, जिससे रुपए की मांग कम हो रही है और डॉलर की मांग बढ़ रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इस साल भारतीय बाजार से लगभग 18 अरब डॉलर से अधिक निकाले हैं, जिससे एक बड़ा दबाव बन रहा है।


इसके अलावा, अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता भी रुपये को दबा रही है। अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर कई उत्पादों पर ऊंची टैरिफ दरें लगा दी हैं, जिससे भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धा कम हुई है और निर्यात से डॉलर की आमद सीमित रही है। आइये जानते हैं रुपये की गिरावट से जुड़े अहम सवालों के जवाब…

1. रुपये का आम आदमी पर असर?
रुपये की गिरावट का असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है, जिससे महंगाई में फिर उछाल आ सकता है।

2. रुपया क्यों डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा?
विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, डॉलर की वैश्विक मजबूती और अमेरिका में ऊंची ब्याज दरों के कारण रुपया दबाव में है।

3. रुपये पर दबाव की वजह क्या?
शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट से विदेशी निवेशकों की निकासी से डॉलर की मांग बढ़ी और रुपये पर दबाव बना।

4. तेल आयात और व्यापार घाटा कहां तक जिम्मेदार?
कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से आयात बिल बढ़ा है, जिससे चालू खाता घाटा बढ़ने की आशंका है।

5. अमेरिका से व्यापार करार की अनिश्चितता का क्या प्रभाव।
व्यापार समझौते पर स्पष्टता न होने से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है।

6. गिरावट को कौन रोक सकता है?
आरबीआई का हस्तक्षेप सबसे अहम है। रिजर्व बैंक डॉलर बेचकर और बाजार में तरलता प्रबंधन कर रुपये की तेज गिरावट रोक सकता है।

7. रुपये को संभालने के लिए अन्य कदम क्या हैं?
एफडीआई और दीर्घकालिक निवेश बढ़ाना। मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी में निवेश रुपये को स्थिर कर सकता है।

8. निर्यात को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
आईटी, फार्मा, इंजीनियरिंग और सेवा निर्यात बढ़ने से डॉलर की आमद मजबूत होगी।

9. व्यापार समझौते कितने अहम?
अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों के साथ समझौते विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ा सकते हैं।

10.क्या महंगाई पर नियंत्रण से मदद मिलेगी?
महंगाई काबू में रहने से आरबीआई को नीति समर्थन मिलेगा और मुद्रा पर दबाव घटेगा।

11. नीतिगत सुधार कितने कारगर होंगे?
मध्यम से लंबी अवधि में सुधारों से रुपये पर दबाव कम हो सकता है। निवेश, निर्यात और नीतिगत स्थिरता से रुपये की गिरावट पर ब्रेक लग सकता है।

Share:

  • ग्राहकों को झटके पर झटके दे रहे बैंक.... सेवाओं पर बढ़ेगा शुल्क....कई सुविधाएं होंगी बंद

    Fri Dec 19 , 2025
    नई दिल्ली। बैंक (Banks) से जुड़ी सेवाओं का शुल्क (Service fees) लगातार बढ़ाया जा रहा है या फिर नए सिरे से शुल्क लगाए जा रहा है। इस वर्ष बैंकों ने एटीएम (ATM) से निकासी, क्रेडिट कार्ड (Credit card), चेक बुक जारी कराने से लेकर अन्य सेवाओं पर अपने शुल्क में बढ़ोतरी की है। इसके साथ […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved