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किसानों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को भारत आने से रोकने के लिए UK सांसदों को पत्र लिखगें

दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले 28 दिनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी तक आंदोलन कर रहे किसानों सरकार के बीच कोई बात नहीं बन पाई है. इसी बीच किसानों ने यूनाटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकने के लिए वहां के सांसदों को पत्र लिखने का फैसला किया है. किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार ने गणतंत्र दिवस पर UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है. ऐसे में सभी किसान संघ ब्रिटिश सांसदों को पत्र लिख रहे हैं. इस पत्र में किसानों की मांगे नहीं माने जाने तक यूके के प्रधानमंत्री को भारत आने से रोकने की मांग की जाएगी.

बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग से पीछे हटने से किसान संगठनों के इनकार करने के बाद बने गतिरोध के बीच नौ दिसंबर को छठे दौर की वार्ता रद्द हो गयी थी. केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द अपनी आंतरिक चर्चा पूरी करेंगे संकट के समाधान के लिए सरकार के साथ पुन: वार्ता शुरू करेंगे. तोमर ने दिल्ली उत्तर प्रदेश के दो किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताया है.

कृषि मंत्री ने दोनों समूहों से मुलाकात के बाद कहा, ”विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि यह बताने आये थे कि कानून अच्छे हैं किसानों के हित में हैं. वे सरकार से यह अनुरोध करने आये थे कि कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया जाए.” उन्होंने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि वे (प्रदर्शनकारी किसान संघ) जल्द अपनी आंतरिक वार्ता पूरी करेंगे सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आएंगे. हम सफलतापूर्वक समाधान निकाल सकेंगे.” हालांकि संधू ने सरकार पर उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए ‘फर्जी संगठन तैयार करने’ का आरोप लगाया ‘जिनका कोई अतीत नहीं’ है. संधू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसान नेता 23 से 26 दिसंबर तक ‘शहीदी दिवस’ मनाएंगे.

प्रदर्शनकारी किसान संघों ने पहले ही 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा के राजमार्गों पर टोल वसूली रोकने का एलान किया है. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) उसके सहयोगी संगठनों ने कहा कि वे 23 दिसंबर को किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ‘दोपहर का भोजन’ छोड़ेंगे. इससे पहले तोमर ने कहा था कि नये कृषि कानून भारतीय खेती में नये युग की शुरुआत करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार सभी विवादास्पद मुद्दों पर प्रदर्शनकारी संगठनों के साथ वार्ता जारी रखने के लिए अब भी तैयार है.

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