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ऑल टाइम हाई पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए देश के खजाने में जमा हुए कितने डॉलर

नई दिल्ली। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। छह अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 88.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 621.464 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

इसलिए आई बढ़त : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 30 जुलाई 2021 को समाप्त सप्ताह में इसमें 9.427 अरब डॉलर की तेजी आई थी और यह 620.576 अरब डॉलर रह गया था। विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) में आई वृद्धि से विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आई है। एफसीए 1.508 अरब डॉलर बढ़कर 577.732 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।

स्वर्ण भंडार में कमी : इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 58.8 करोड़ डॉलर कम हुआ और 37.057 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास मौजूद देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.1 करोड़ डॉलर घटकर 5.125 अरब डॉलर रह गया और विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10 लाख डॉलर घटकर 1.551 अरब डॉलर रह गया।


जानें क्या है विदेशी मुद्रा भंडार : विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे : साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।

अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीद का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

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