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भारतीय शेयर बाजार को खराब करने में लगे विदेशी निवेशक, फिर निकाले इतने हजार करोड़

नई दिल्‍ली । भारतीय इक्विटी बाजारों (Indian Equity Markets) से विदेशी धन (foreign money) का पलायन बेरोकटोक जारी है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) द्वारा अधिक आक्रामक ढंग से ब्याज दर में वृद्धि किये जाने की आशंका तथा डॉलर की मजबूती की चिंताओं के कारण एफपीआई (FPI) ने इस महीने अब तक 35,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की निकासी की है। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा शेयरों से शुद्ध धन निकासी वर्ष 2022 में अब तक 1.63 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) खंड के प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीति एवं अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए आगे चलकर भारत में एफपीआई का प्रवाह निकट अवधि में अस्थिर बने रहने के आसार हैं।

बिकवाली जारी रहने की आशंका
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, “चूंकि अमेरिका का प्रमुख बाजार कमजोर है और डॉलर मजबूत हो रहा है जिससे एफपीआई द्वारा निकट भविष्य में बिकवाली जारी रहने की आशंका है।” इक्विटी बाजार से विदेशी निवेशक अक्टूबर-अप्रैल के सात महीनों में कुल 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी राशि की निकासी कर चुके हैं। हालांकि अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई शुद्ध निवेशक बन गए और बाजारों में गिरावट आने के कारण शेयरों में 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया। हालांकि कुछ राहत की सांस के बाद एक बार फिर वे छुट्टियों के कारण कम कारोबारी सत्र वाले सप्ताह यानी 11-13 अप्रैल के दौरान शुद्ध बिकवाल बन गए और बाद के हफ्तों में भी बिकवाली जारी रही। आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई प्रवाह मई के महीने में अब तक नकारात्मक बना हुआ है और 2-20 मई के दौरान 35,137 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की गई है।

डॉलर सूचकांक में तेजी मुख्य वजह
विजय कुमार ने कहा, “एफपीआई की भारी बिकवाली के पीछे प्रमुख कारक डॉलर की तेजी है जो डॉलर सूचकांक को 103 से ऊपर ले गया है। साथ ही भारत प्रमुख उभरता हुआ बाजार है जहां एफपीआई बड़े मुनाफे के लिए बैठे हैं और एफपीआई बिक्री को झेलने के लिहाज से बाजार तैयार नहीं है।’’ अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए इस साल दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। घरेलू मोर्चे पर भी, बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ-साथ रिजर्व बैंक द्वारा दरों में और बढ़ोतरी और आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव की चिंताएं बहुत अधिक हैं। भारत के अलावा, ताइवान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस सहित अन्य उभरते बाजारों में मई में अब तक धन निकासी देखी गयी है।

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