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वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ा, आधा डूबा मणिकर्णिका घाट, छत पर हो रहे अंतिम संस्कार

July 04, 2025

वाराणसी: मोक्षदायिनी काशी (Mokshadayini Kashi) में अब मोक्ष मिलना उतना आसान नहीं रह गया है. क्योंकि, गंगा में आई बाढ़ ने महाश्मशान मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat, the cremation ground) के ज्यादातर शवदाह वाले प्लेटफार्म को डुबो दिया है. दरअसल, वाराणसी में गंगा का जलस्तर काफी बढ़ गया है. इससे मणिकर्णिका घाट के अधिकांश शवदाह प्लेटफॉर्म डूब गए हैं.

अब शवों का अंतिम संस्कार घाट की छत पर करना पड़ रहा है. वहीं, आसपास बने छोटे-छोटे मंदिर भी जलमग्न हो चुके हैं.ताजा हालात ऐसे हैं कि 85 घाटों की सीढ़ियां बाढ़ के पानी में डूब चुकी हैं. इन घाटों तक पहुंचने का रास्ता भी टूट गया है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, घाट का संपर्क अब मुश्किल हो गया है. शव यात्रा को घाट तक ले जाने में दिक्कत आ रही है.


गाजीपुर से आए श्याम सिंह बताते हैं कि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में छत पर शवदाह करना हमारी मजबूरी है. अगर पानी का स्तर और बढ़ा तो यह भी संभव नहीं रह पाएगा. अब पहले जैसी सुविधा नहीं बची है. वहीं, चंदौली से आए विशाल त्रिपाठी कहते हैं कि पहले शववाहिनी नौकाएं चलती थीं, लेकिन अब बाढ़ के कारण मोटर बोट बंद कर दी गई है. जगह कम है और भीड़ ज्यादा, इसलिए ऊपर की छतों पर शवों को जलाना पड़ रहा है. इन सबके बीच नए घाट की मांग उठ रही है.

बिहार के कैमूर से आए शैलेंद्र सिंह ने कहा कि बाढ़ के चलते निचले प्लेटफॉर्म डूब चुके हैं और शव जलाने के लिए सिर्फ छत का ही विकल्प बचा है. हमारे लिए यह स्थिति बेहद असहज करने वाली है. मृतक के परिवार वालों के लिए ये हालात बेहद कठिन हैं. मौजूदा हालात को लेकर डोमराजा परिवार के सदस्य राजेश चौधरी ने बताया कि पहले जहां 40 शव जलाए जा सकते थे, मगर अब क्षमता घटकर 20 शव जलाने की ही रह गई है. क्योंकि, तीन प्लेटफॉर्म पानी में डूब चुके हैं. बॉडी कम आ रही है. कुछ दिक्कत चल रहे निर्माण की वजह से हो रही है और कुछ बाढ़ की वजह से हो रही है.

मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए लकड़ी बेचने वाले कैलाश यादव के मुताबिक, लकड़ी की कीमतों में अभी बड़ा अंतर नहीं है, लेकिन जल भराव के चलते ढुलाई मुश्किल हो गई है और जलमार्ग से आपूर्ति भी रुक गई है. ट्रॉलियों से संकरी गलियों के रास्ते लकड़ी लाना पड़ रहा है, जो काफी मुश्किल काम है. 400-500 रुपये मन लकड़ी से बाढ़ के सीजन में 500-600 रुपए प्रति मन लकड़ी हो जाती है.

इस विषम स्थिति को लेकर वाराणसी के डीएम सुरेंद्र कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन की गंगा और वरुणा नदी पर नजर है.बाढ़ से निपटने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं. फूड पैकेट, पशुओं के लिए चारा, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की तैनाती के आदेश दे दिए गए हैं. जरूरत के मुताबिक इमरजेंसी रिस्पॉन्स एक्टीवेट किए जाएंगे.

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