
पणजी। बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ (Goa Bench) ने अपने एक फैसले में कहा कि अगर कोई महिला (Women) अपनी मर्जी से किसी पुरुष (Men) के साथ होटल (Hotel) के कमरे में जाती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि महिला ने उस पुरुष को शारीरिक संबंध (Physical Relationship) बनाने की सहमति दे दी है।
जस्टिस भारत पी देशपांडे ने अपने फैसले में कहा कि ‘इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि आरोपी और शिकायतकर्ता महिला ने मिलकर होटल के कमरे की बुकिंग की थी। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि पीड़िता ने शारीरिक संबंध बनाने की भी सहमति दे दी थी। अगर ये मान भी लें कि पीड़िता, आरोपी के साथ होटल के कमरे में गई, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये मान लिया जाए कि महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दे दी है।’ इस फैसले के साथ ही अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें निचली अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को बंद करने का आदेश दिया था।
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