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आज होगी भगवान श्री कृष्‍ण की गोवरधन के रूप में पूजा, जानें शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

दीपावली (Diwali) के दूसरे गोवर्धन भगवान (govardhan god) की पूजा होती है. शास्त्रों को अनुसार कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा (govardhan puja) का महत्व बताया गया है. इस बार गोवर्धन पूजा 5 नवंबर को मनाई जाएगी. ऐसे में हम आपको यह बताने जा रहे है कि आखिर गोवर्धन भगवान की पूजा दीपावली के दूसरे दिन ही क्यों की जाती है.

भगवान श्री कृष्ण ने की थी ब्रजवासियों की रक्षा
बताया जाता है कि ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे, लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने इंद्र की जगह गोवर्धन पूजा करने की बात कही तो इंद्र रुष्ट हो गए और उन्होंने अपना प्रभाव दिखाते हुए ब्रजमंडल में मूसलधार बारिश शुरू कर दी. इस वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों की रक्षा की. गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामीणों के साथ गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे. फिर ब्रह्माजी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है. यह जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा. जिसे कार्तिक अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान गोवर्धन की पूजा पूरे उत्तर भारत में होती है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह-06: 35 से 08: 47 तक रहेगा, जबकि शाम के वक्त 03:21 से 05:33 तक शुभ मुहूर्त होगा. इस समय पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.



अन्नकूट में भगवान को लगते हैं छप्पन भोग
अन्नकूट उत्सव में गोवर्धन रूप में भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है, इस दिन घर और मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है. इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन गाय, बछड़ों की पूजा की जाती है.

अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दारिद्र का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्षभर दुखी ही रहेगा. इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर भगवान श्रीकृष्‍ण के प्रिय अन्नकूट उत्सव को भक्तिपूर्वक तथा आनंदपूर्वक मनाना चाहिए.

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