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इंदौर की गलियों में पले-बढ़े बदरुद्दीन को गुरुदत्त ने दिया था जानी वाकर नाम

July 29, 2020


आज है कामेडी किंग की सालाना बरसी
 इंदौर में जन्मे यहां की गलियों में पले बढ़े जानीं वाकर युवा अवस्था में आर्थिक परेशानियों के चलते मुंबई की सड़कों पर उन्हें आइसक्रीम, सब्जियां और चश्मे बेचने पढ़ें वहीं 26 रुपए की तनख्वाह में बस कंडक्टर की नौकरी भी करना पड़ी । जहां हिम्मत, हौसले और मेहनत का मिलाप होता है। वहां वक्त बदलते देर नहीं लगती। बदरुद्दीन काजी के भी दिन बदले गुरुदत्त से मुलाकात हुई। गुरुदत्त ने अपनी फिल्म बाजी में उन्हें शराबी का छोटा-सा किरदार दिया और नया नाम जॉनी वाकर भी दिया ।
सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए, आजा प्यारे पास हमारे काहे घबराए… यह गीत सुनते ही जेहन में सबसे पहले जिनका नाम आता है, वे हैं जॉनी वॉकर। बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी, जिन्हें फिल्म इंडस्ट्री में जॉनी वाकर के नाम से पहचाना जाता है। वे लगभग 35 वर्षों तक हास्य अभिनेता के रूप में सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया। जिनमें से अनेक फिल्मों के वे नायक भी थे। आज ही के दिन वे 29 जुलाई 2003 को दुनिया से रुखसत कर गए थे जॉनी वॉकर का जन्म 11 नवंबर 1923 को इंदौर में मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जमालुद्दीन काजी इंदौर की टेक्सटाइल मिल में मजदूर का कार्य करते थे। मिल क्षेत्र के समीप वायएन रोड पर उनका निवास था। युवा अवस्था में जानी वाकर पिता जी के साथ मुम्बई पहुंच गए।

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