
अलीगढ़। हाथरस कांड को लेकर जहां राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति चमकाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं बढ़ते जातीय तनाव को देखते हुए बीजेपी और पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बीजेपी भी जातीय आधार पर विभाजित नजर आ रही है। जातीय तनाव हाथरस से शुरू होकर अलीगढ़ तक पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात ये सामने आ रही है कि कुछ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस मामले को मैनेज करने के लिए लगाया गया है। इस सिलसिले में पिछले कुछ दिनों में अलीगढ़ जेल में बंद आरोपियों से गुपचुप तरीके से मुलाकातें भी की गईं हैं।
जातीय तनाव को लेकर जहां पुलिस और प्रशासनिक अमला अलर्ट हो गया है, वहीं बीजेपी और प्रदेश सरकार के लिए चिन्ता का विषय बन गया है। इसको देखते हुए माहौल को मैनेज करने के प्रयास तेज हो गए हैं। हाथरस कांड के चारों आरोपी अलीगढ़ जेल में बंद हैं। सूत्रों से पता चला है कि दो दिन पूर्व बीजेपी के एक जनप्रतिनिधि और सीओ प्रथम सुदेश गुप्ता जेल में मिलने गए थे। रविवार सुबह हाथरस के सांसद राजवीर दिलेर और हाथरस नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा भी इन आरोपियों से मिलने पहुंचे।
जेल से बाहर आने पर मीडिया के पूछने पर सांसद दिलेर ने कहा कि वह पर्सनल काम से जेलर से मिलने पहुंचे थे। उनका दावा था कि उन्होंने आरोपियों से मुलाकात नहीं की है। उनके बाद अलीगढ़ के एसपी ट्रैफिक सतीश चन्द्र और सीओ प्रथम सुदेश गुप्ता मीडिया से बचते हुए जेल पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने आरोपियों से मुलाकात की। इन लोगों की आरोपियों से मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है। सवाल भी खड़े हो रहे हैं। हाथरस के सांसद राजवीर सिंह दिलेर ने कहा कि विपक्ष सिर्फ माहौल खराब करने में लगा है और उनके पुतले फुंकवा रहा है। हम शुरू से ही लड़की के परिवार के साथ हैं।
जांच में जुटी एसआईटी की टीम रविवार को अलीगढ़ पहुंची। टीम ने सबसे पहले जएनयू मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों से बात कर पीड़िता के संबंध में जानकारी की। इसके उपरान्त टीम अलीगढ़ मंडल के आईजी पीयूष मोर्डिया से मिलने पहुंचे। करीब एक घंटे तक बातचीत के बाद एसआईटी एएमयू के प्रशासनिक ब्लाक पहुंची।
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