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मप्र की जेलों में सबसे ज्यादा आदिवासी कैदी

September 07, 2020

भोपाल। मध्य प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में आदिवासी, एससी-एसटी और मुस्लिम समुदाय के कैदी बंद हैं, जिनमें सबसे ज्यादा आदिवासी कैदियों की संख्या हैं। आलम ये है कि, विचाराधीन और सजा काट रहे कैदियों में आदिवासी समुदाय के 10 हजार से भी ज्यादा कैदी शामिल हैं। उसके बाद एससी और मुस्लिम समुदाय की कैदी बड़ी संख्या में मध्य प्रदेश की जेलों में बंद हैं।

एनसीआरबी ने जारी किए नए आंकड़े
दरअसल हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को लेकर चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। प्रदेश के अंदर जेल में बंद कैदियों के आंकड़ों की बात करें तो, मध्य प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा आदिवासी समुदाय के कैदी बंद हैं। बताया जा रहा है कि, आदिवासी कैदियों के खिलाफ सबसे ज्यादा भूमि अधिग्रहित और अवैध कच्ची शराब से जुड़े मामले दर्ज हैं।

जानिए जेल में कितने कैदी हैं बंद
इन आदिवासी कैदियों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है। तो वहीं अनुसूचित जाति के करीब 9 हजार से भी ज्यादा कैदी हैं। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के कैदी भी तीसरे नंबर पर हैं, जिनकी संख्या लगभग 5 हजार है। इसके अलावा 12 कैदी विदेशी हैं, 638 कैदी दूसरे प्रदेशों के हैं, जो मध्य प्रदेश की जेलों में बंद हैं।

क्षमता से करीब 50 प्रतिशत ज्यादा हैं कैदी
अब आपको बता दें कि, मध्यप्रदेश में कुल 131 जेल हैं। इनमें 11 सेंट्रल जेल, 41 जिला जेल और 73 उप जेल समेत 06 खुली जेल हैं। प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कुल 28 हजार 718 है, लेकिन चौंकाने वाली बात तो ये है कि, इन जेलों में 44 हजार 603 कैदी बंद हैं। करीब 15 हजार 885 कैदी क्षमता से अधिक हैं।

एमपी में नहीं है महिला जेल
मध्यप्रदेश में कोई भी स्पेशल और महिला जेल नहीं है। प्रदेश की जेलों में महिला कैदियों की संख्या 1758 हैं, तो वहीं पुरुष कैदियों की संख्या 42 हजार 845 है। क्षमता से अधिक कैदी होने की बजह से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही कई बार अलग-अलग घटनाएं सामने आती हैं। इतना ही नहीं, जेलों में कैदियों के हंगामा करने जैसी घटनाएं भी हो चुकी है। जानकारों की मानें तो जेलों में आदिवासी दलित और मुस्लिम समुदाय के कैदियों की संख्या इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि अलग-अलग अपराधों में जेल जाने के बाद जमानत के लिए भी इनके परिवार वालों के पास पैसे नहीं होते हैं। आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते आदिवासी दलित और कुछ हद तक मुस्लिम समुदाय के लोग जेलों में ही बंद रहते हैं।

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